
shradh 2018: श्राद्ध हैं इस तारीख से शुरू, ये पांच मुख्य कर्म करने जरूरी
मेरठ। 24 सितंबर से श्राद्ध शुरू होने जा रहे हैं। श्राद्ध को पूर्वजों के लिए पूजा-पाठ और उनके तर्पण का दिनों के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध के ये 15 दिन पूर्वजों और पितरों की पूजा के लिए होते हैं। श्राद्ध के इन दिनों में आपको ये पांच मुख्य कर्म जरूर करने चाहिए। यदि इन कामों को करवाने के लिए पंडित न भी मिले तो आप अपने आप कर सकते हैं। इसके लिए किसी पंडित इत्यादि की कोई जरूरत नहीं। ज्योतिषाचार्या संगीता शाडिल्य के अनुसार ये पांच मुख्य कर्म इस प्रकार है।
ये हैं पांच मुख्य कर्म
पहला कर्म है तर्पण इसमें आपको अपने पितरों को प्रतिदिन श्राद्ध के दिनों में दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पित्तरों को नित्य अर्पित करना होता है। दूसरा कर्म होता है पिंडदान। इसमें चावल या जौ के पिंडदान करके भूखों को भोजन देना होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है। तीसरा कर्म है वस्त्रदान। इसमें निर्धनों को वस्त्र का दान करना चाहिए। चौथा कर्म है दक्षिणा। इसमें भोजन के बाद दक्षिणा दिए बिना एवं चरण स्पर्श बिना फल नहीं मिलता। इसलिए गरीब को भोजन करवाकर उसको दक्षिणा देकर और चरण स्पर्श कर घर से विदा करें। पांचवां और आखिरी कर्म है। पूर्वजों के नाम पर , कोई भी सामाजिक कृत्य जैसे-शिक्षा दान,रक्तदान, भोजनदान, वृक्षारोपण ,चिकित्सा संबंधी दान आदि अवश्य करना चाहिए।
पूर्वजों की आत्मा को मिलती है शांति
ज्योतिषाचार्या विभा रस्तोगी के अनुसार उपरोक्त कर्म श्राद्ध के दिनों में आवश्य करना चाहिए। इसको करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनकी आत्मा तृप्त होती है। तर्पण का काम सुबह प्रात: करना चाहिए। नहाने के बाद बिना कुछ खाए पिए ही तर्पण का फल मिलता है। इसके अलावा पिंडदान के लिए किसी नदी या नहर के किनारे करना चाहिए। पिंडदान के लिए पिंड खुद ही बनाना चाहिए। पिंड जौ के आटे और उड़द की दाल के होने चाहिए।
Published on:
21 Sept 2018 12:08 pm
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