
मेरठ। उप्र में महागठबंधन होने की स्थिति में और पिछले साल हुए गुजरात चुनाव में पिछड़े वर्ग के समर्थन से उत्साहित कांग्रेस अब प्रदेश में भी पिछड़ों में पैठ बढ़ाने में जुटेगी। मिशन 2019 की तैयारी के मद्देनजर होने वाले प्रदेश संगठन में बदलाव के तहत खासकर अन्य पिछड़ा वर्ग के नेताओं को संगठन में जगह दी जाएगी।
पुराने के बजाए नए चेहरों पर अधिक ध्यान होगा। जनवरी में प्रदेश अध्यक्ष पद पर फैसला होने के बाद कार्यकारिणी और फ्रंटल संगठनों का पुनर्गठन भी होना है। जिलाध्यक्षों के अलावा ब्लॉक कमेटियों के गठन की औपचारिक घोषणा अभी शेष है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में भी गुजरात की तर्ज पर रणनीति बना सकती है। दलितों के अलावा पिछड़ों खासकर अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया जाना है।
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महागठंधन में नहीं मिली सम्मानजनक भागीदारी तो दिखाएंगी अपना दम
कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक त्यागी ने बताया कि उप्र में महागठबंधन जैसी स्थिति में सम्मानजनक स्थिति न होने की स्थिति में कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी करेगी।
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चलेगा पिछड़ा जोड़ो फार्मूला
कांग्रेस का पिछड़ जोड़ो फार्मूला उप्र के विधानसभा चुनाव में अमल नहीं हो पाया था। क्योंकि समाजवादी पार्टी से गठबंधन के कारण कांग्रेस के सभी दांव फेल हो गए थे। पूर्व सांसद राजाराम पाल को पिछड़ों को जोड़ने की कमान सौंपी गयी थी। प्रशांत किशोर प्लान के मुताबिक पीएल पुनिया को दलितों को जोड़ने के लिए आगे किया गया था तो राजाराम पाल पिछड़ा वर्ग को लुभाने के लिए लगाए गए थे। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित व संजय सिंह को क्रमशः ब्राहमण व क्षत्रिय चेहरे के तौर पर प्रचारित किया गया था।
बढ़ेगा प्रतिनिधित्व
प्रदेश संगठन के पुनर्गठन में अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले से ज्यादा प्रतिनिधित्व देने की तैयारी है। कांग्रेस के दिग्गज नेता जनार्दन द्वेदी ने पत्रिका को बताया कि पिछड़े वर्ग की एक जाति को छोड़ अन्य जातियों के साथ न्याय नहीं हो सका, जिस कारण कांग्रेस की ओर उनका रुझान अधिक है। संगठन में अहम पदों पर पिछड़ा वर्ग की अन्य जातियों को समायोजित किए जाने से उनका भरोसा मजबूत होगा।
जातीय संतुलन साधने की जुगत
प्रदेश के कांग्रेसियों को अपना प्रदेश अध्यक्ष और अपने जिलाध्यक्ष का इंतजार काफी समय से है, लेकिन अभी तक नामों की घोषणा नहीं हो पाई है। सूत्रों का कहना है कि जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर वोटों का गणित साधा जाएगा। आधे से अधिक जिलों में नए चेहरों को संगठन की कमान सौंपी जाएगी। फ्रंटल संगठनों का पुनर्गठन करते हुए निष्क्रिय पदाधिकारियों की छंटनी होगी।
युवक कांग्रेस व भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के संगठनात्मक ढांचे में फेरबदल का दावा भी किया जा रहा है। कांग्रेसी नेता अभिमन्यु त्यागी के अनुसार इस बार पार्टी 2019 में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसलिए थोड़ा देर जरूर हो रही है, लेकिन जो भी नाम सामने आएंगे वो कांग्रेस को मजबूती देने वाले होंगे।
Published on:
19 Apr 2018 02:51 pm
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