
मेरठ। पूर्व विधायक योगेश वर्मा (Yogesh Verma) और उनकी पत्नी महापौर सुनीता वर्मा (Sunita Verma) को बसपा (BSP) से निष्कासित किए जाने के बाद पार्टी में खलबली मची हुई। योगेश वर्मा मायावती (Mayawati) के हमेशा ही खास समझे जाने वाले नेता रहे हैं। देहात में उनकी अच्छी पकड़ रही है और पिछले नगर निगम चुनाव में दलित-मुस्लिम गठजोड़ उन्हीं की देन रहा, तभी उनकी पत्नी सुनीता वर्मा भाजपा के पूरे जोर लगा देने के बावजूद भी महापौर बनी। अब योगेश और सुनीता के बसपा से निष्कासन के बाद उनके पक्ष में पार्टी से इस्तीफा देने वालों की संख्या 17 हो गई है।
इन नेताओं ने बसपा प्रदेशाध्यक्ष मुनकाद अली (Munkad Ali) के बयान पर तीखी प्रक्रिया देने के बाद अपना इस्तीफा दिया है। मुनकाद ने कहा था कि पार्षदों के जाने से बसपा पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। पिछले दो दिन में तीन और पार्षदों ने पार्टी छोडऩे का फैसला लिया। वार्ड 25 की पार्षद रंगीता सिंह, उनके पति बसपा नेता जनरैल सिंह, वार्ड 16 की पार्षद प्रिया एवं उनके पति बसपा नेता राजीव चौधरी, वार्ड 41 के पार्षद महेशपाल सिंह ने महापौर के पक्ष में बसपा को छोड़ दी है।
महापौर आवास पर पहुंचे पार्षदों ने कहा कि जब बसपा सुप्रीमो मायावती का जन्मदिन होता है तो पार्टी उन्हें तभी याद करती है, नहीं तो उन्हें पार्टी में पूछा नहीं जाता। तीनों पार्षदों का आरोप है कि बसपा के प्रदेशाध्यक्ष मुनकाद अली ने बयान दिया कि पार्षदों के जाने से बसपा पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उनका यह बयान बहुत ही गलत है। इससे वह नाराज हैं। महापौर सुनीता वर्मा ने दावा किया है कि अभी तक 17 पार्षदों ने इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने हमारे साथ विश्वासघात किया और गलत तरीके से पार्टी से निकाला गया है। पार्षदों को लेकर प्रदेश अध्यक्ष का बयान गलत है।
Published on:
16 Nov 2019 08:49 am
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