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भाजपा की बैठक के बाद भी मेरठ के इन गांवों की दलित बस्तियों में पसरा है सन्नाटा, जानिये क्या है वजह

जातीय संघर्ष की आग में झुलसे कपसाढ़ और उल्देपुर में अभी भी तनावपूर्ण शांति, आरोपियों की गिरफ्तारी न होने पर पीड़ितों में पनप रहा आक्रोश

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मेरठ

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lokesh verma

Aug 14, 2018

meerut

भाजपा की बैठक के बाद भी मेरठ के इन गांवों की दलित बस्तियों में पसरा है सन्नाटा, जानिये क्या है वजह

मेरठ. भाजपा की दो दिवसीय बैठक के बाद भी जिले के कपसाढ़ और उल्देपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद दोनों गांवों में तनाव बना हुआ है। दलित बस्ती में सन्नाटा पसरा हुआ है। दोनाें गांवों में लोग अपने खेत में भी जाने से डर रहे हैं। दोनों गांवों की दलित बस्ती की गलियों में मंगलवार सुबह भी सन्नाटा पसरा रहा। हालांकि गांव में शांति बहाली के लिए अधिकारी प्रयासरत हैं। कई जिम्मेदार लोगों को इस काम के लिए लगाया गया है, जिससे दलित लोगों में भय खत्म करके गांव में आपसी भाईचारे को मजबूत बनाया जा सके। वहीं दूसरी ओर उल्देपुर में जातीय संघर्ष के शिकार हुए दलित समाज के मृतक युवक रोहित कुमार के हत्यारोपी गिरफ्तार न होने के कारण आक्रोश पनप रहा है। पांच दिन बाद भी केवल तीन हत्यारोपी जेल भेजे गए हैं, जबकि आधा दर्जन अभी भी फरार हैं। पीड़ितों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र गिरफ्तारी नहीं होती है तो वह आंदोलन करेंगे। तनाव के मद्देनजर गांव में अभी आरआरएफ तैनात है।

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दरअसल, बीते गुरुवार की देर शाम गांव कपसाढ़ के एक दलित युवक ने राजपूत समाज की चार साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बना लिया था। घटना से आक्रोशित राजपूतों ने दलित बस्ती पर हमला करके उनके घरों में तोड़फोड़ करते हुए मारपीट कर दी थी। इसके चलते दलित लोग दहशत में आ गए थे। दुष्कर्म और मारपीट की घटना के बाद गांव में फैले तनाव को देखते हुए वहां कई थानों की पुलिस के साथ पीएससी व सीआरपीएफ के जवानों को भी तैनात किया गया है। इलाके के कुछ जिम्मेदार लोगों को भी गांव में भाईचारा मजबूत बनाने के लिए लगाया है, जो दोनों पक्ष के लोगों से बात कर समझौते का प्रयास कर रहे हैं। इसकी चिंगारी उल्देपुर गांव में भी फैल गई थी, जिसके कारण वहां भी दलितों और चौहानों मे खूनी संघर्ष हुआ और एक दलित युवक की मौत हो गई थी। इस गांव में भी लोगों के बीच आक्रोश पनप रहा है।

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उल्देपुर निवासी रोहित के पिता देवेंद्र का कहना है कि जातीय संघर्ष में उनके जवान बेटे की जान चली गई, लेकिन पुलिस लचर रवैया अपना रही है। घटना के पांच दिन बाद भी अन्य हत्यारोपी शिकंजे से बाहर हैं। आरोप है कि पीड़ितों के घर के आस-पास आरआरएफ व पुलिस का कड़ा पहरा लगा रखा है, जबकि पुलिस आरोपियों के घर पर दबिश नहीं डाल रही है। पुलिस सत्ता पक्ष के दबाव में है। दूसरी ओर पीड़ितों को ग्रामीण, रिश्तेदार व कई संगठनों के लोग सांत्वना देने के लिए पहुंच रहे हैं।

एसपी देहात राजेश कुमार का कहना है कि कपसाढ़ और उल्देपुर दोनों गांवों में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस तैनात है। फिलहाल दोनों गांवों में शांति है। उल्देपुर प्रकरण में पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है।

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