script10 मई 1857 क्रांति पर विशेष: ‘जब नगरवधुओं ने सैनिकों को दी चूड़ियां पहनने को’, कहा हम जेल से मुक्त कराएंगी सिपाहियों को | The Kali Paltan Temple started the 1857 revolution | Patrika News
मेरठ

10 मई 1857 क्रांति पर विशेष: ‘जब नगरवधुओं ने सैनिकों को दी चूड़ियां पहनने को’, कहा हम जेल से मुक्त कराएंगी सिपाहियों को

Highlights. मेरठ छावनी में रेस कोर्स रोड पर मौजूद औघड़नाथ मंदिर ही काली पलटन मंदिर के नाम से जाना जाता है. असल में काली पलटन मंदिर का नाम भारतीय सैनिकों की पलटन की वजह से पड़ा. अंग्रेज भारतीयों की पलटन को काली (ब्लैक) प्लाटून कहते थे

मेरठMay 08, 2020 / 09:42 am

virendra sharma

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मेरठ। 1857 क्रांति को लेकर मेरठ ही नहीं बल्कि, वेस्ट यूपी इतिहास से भरा हुआ है। मेरठ से ही सबसे पहले क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ लामबंद हुए थे और एक उस मौके का इंतजार कर रहे थे। जब अंग्रेजों पर हमला बोला जाए। भारतीय सैनिकों ने बगावत की और अंग्रेजों ने उन्हें जेल तक भेजा था। विक्टोरियां पार्क में यहां तक अस्थायी जेल बनाई गई थी। विक्टोरियां पार्क में जेल बनाने के बाद बंद कराने के लिए जिले के लोगों में असंतोष था।
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मेरठ में भारतीय सेना की काली पलटन थी। इस काली पलटन के सैनिक कबाड़ी बाजार नगरवधुओं (वेश्या) के पास जाया करते थे। मेरठ कालेज के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. ज्ञानेन्द्र शर्मा ने बताया कि 7 मई 1857 को जब काली पलटन के सैनिक नगर वधुओं के पास पहुंचे। साथ ही उन्होंने अंग्रेजों के सामने नाचने और दिल बहलाने से मना कर दिया। नगर वधुओं ने कहा कि ‘लाओ अपने हथियार हमें दो। सिपाहियों को हम जेल से आजाद करा लेंगी। तुम चूड़ियां पहनकर बैठो।’ बताया जाता है कि नगर वधुओं का यह कटाक्ष उस दौरान काली पलटन के सैनिकों को इतना चुभा कि जेल में बंद अपने सैनिक को छुड़ा लेने की श्पथ ली।
बता दें कि भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम को इस वर्ष 163 साल पूरे हो रहे हैं। इतने साल गुजरने के बाद आजादी की उस पहली लड़ाई को न तो देश भूल पाया है और न इतिहास। मेरठ क्रांति के उद्गम स्थल पर क्रांति के पदचिह्न् तो अपनी अमिट पहचान के साथ ही हैं। नगर वधुओं का नाम भी क्रांति से जुड़ा हुआ है। काली पलटन सैनिकों में क्रांति चिंगारी भड़काने का श्रेय मेरठ में रहने वाली नगर वधुओं को भी जाता है।
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