
भ्रष्टाचार के आरोप में मेरठ प्राधिकरण के दो बाबू हुए गिरफ्तार
मेरठ. भ्रष्टाचार के आरोप में गुरुवार को मेरठ विकास प्राधिकरण में पदस्थ दो बाबुओं को गिरफ्तार किया गया। यह सब हुआ मंडलायुक्त की पहल पर। दरअसल, वर्षों पुरानी घोटाले का खुलासा करते हुए मंडलायुक्त प्रभात कुमार ने न केवल घोटालेबाजों के खिलाफ FIR दर्ज कराई, बल्कि दो घोटालेबाज बाबुओं को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। हालांकि, अभी एक महिला बाबू रजनी कन्नौजिया फरार चल रही हैं। बताया जाता है कि वह इस मामले की मुख्य खोटालेबाज़ है। लिहाजा उसकी भी धरपकड़ के लिए थाना सिविल लाइन पुलिस प्रयास कर रही है। आपको बता दें बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में लोहिया नगर कॉलोनी का निर्माण हुआ था। इस कॉलोनी में गरीबों को आवासीय भूखंड आवंटित की गई थी, लेकिन सारे भूखंड ऐसे थे, जो निरस्त हो गए। इसको प्राधिकरण रीसेल करता, लेकिन प्राधिकरण में बैठे भ्रष्टाचारी बाबू ऐसा करने से पहले ही अपना जाल बिछाने लगे और जिन प्लॉटों को रिसेल किया जाना था। उनका फर्जी तरीके से बैनामा करा कर बेच दिए और जो पैसा उनको मिला उन्होंने अपने जेब में भर लिया। लेकिन जैसे ही इसकी भनक वर्तमान कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार को लगी तो उन्होंने तत्काल मामले की जांच कराई , जिसमें 3 बाबुओं का नाम सामने आया। रिपोर्ट के अनुसार लिपिक शिवगोपाल वाजपेई और तारा सिंह और अन्य लिपिक श्रीमती रजनी कनौजिया इस पूरे घोटाले में शामिल रही। जांच में घोटाला में इन तीनों की संलिप्तता सामने आने के बाद तीनों के खिलाफ थाना सिविल लाइन में मुकदमा दर्ज कराया गया। इसके बाद पुलिस ने भी तत्परता से कार्रवाई करते हुए लिपिक शिवगोपाल वाजपेई और तारा सिंह को गिरफ्तार कर लिया, जबकि तीसरी लिपिक रजनी कनौजिया फिलहाल फरार हैं। पुलिस रजनी कनौजिया की भी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है।
आपको बता दें मेरठ विकास प्राधिकरण में यह कोई पहला मामला नहीं है, जब अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाला किया गया हो। इससे पहले भी समय-समय पर इस तरह के घोटाले होते रहे हैं। यही वजह है कि प्राधिकरण के चपरासी से लेकर वीसी तक सभी करोड़पति से लेकर अरबपति तक है। सवाल यही कि आखिर कैसे प्राधिकरण के कर्मचारी करोड़पति और अरबपति हो गए। बताया जाता है कि जल्द ही तमाम कर्मचारियों और अधिकारियों की संपत्ति की जांच भी शुरू होगी। ताकि, यह साफ हो सके कि कौन मलाई खा रहा है और कौन खिलवा रहा है।
गौरतलब है कि मेरठ विकास प्राधिकरण लगातार अवैध निर्माणों को तोड़ने का दावा भी करता है, लेकिन बावजूद इसके अब भी दर्जनों अवैध निर्माण बड़े स्तर पर प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में चल रहे हैं। ऐसे में साफ जाहिर होता है कि प्राधिकरण के जोनल हेड से लेकर जेई और बाबुओं की मिलीभगत से सारा खेल चल रहा है। अब देखना होगा कि क्या कमिश्नर डॉ. प्रभात कुमार प्राधिकरण के इन धन कुबेरों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में सफल होते हैं या यह कुबेर अपने भ्रष्टाचार का जाल इसी प्रकार भविष्य में भी फैलाते रहेंगे।
Published on:
21 Jun 2018 09:21 pm
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