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यूपी पुलिस होने जा रही हार्इटेक, एक क्लिक में मिलेगी थानों आैर पुलिसकर्मियों की कुंडली

फाइल नहीं मिलने के बहानों पर लग जाएगी रोक

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यूपी पुलिस होने जा रही हार्इटेक, एक क्लिक में मिलेगी थानों आैर पुलिसकर्मियों की कुंडली

मेरठ। यूपी पुलिस महकमे का डाटा और फाइलों का जल्द ही डिजिटलाइजेशन होने जा रहा है। इसके लिए सरकार ने हरी झंडी दे दी है। साथ ही धनराशि भी स्वीकृत की जा चुकी है। अब थानों से फाइल गायब होने और रिकार्ड न मिलने का बहाना पुलिस कर्मी नहीं बना सकेंगे। अब प्रतिदिन कम्प्यूटर पर ही फाइलों और जरूरी डाटा की फीडिंग की जाएगी और उसका रिकार्ड लखनऊ डीजीपी कार्यालय में सुरक्षित होता रहेगा।

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600 लाख रुपये धनराशि स्वीकृति

इसके लिए उप सचिव उत्तर प्रदेश शासन सुनील कुमार पांडेय ने अपर पुलिस महानिदेशक को पत्रांक संख्या 108/2018/1151 दिनांक 28 जून 2018 के माध्यम से पुलिस रिकार्ड्स के डिजिटाइजेशन के लिए 600 लाख की धनराशि स्वीकृति की है। प्रथम चरण में पुलिस मुख्यालय के लगभग 25 लाख रिकार्ड्स का डिजिटलाइजेशन के लिए 190 लाख रूपये स्वीकृत हुए हैं। इसके अलावा समस्त अधिकारियों और पुलिसकर्मियों का विवरण एनआईसी के मानव संपदा पोर्टल पर फीड करने के लिए 410 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई है।

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थानों में कोर एप्लीकेशन साफ्टवेयर इंस्टाल

पुलिस कर्मियों को जल्द ही कंप्यूटर में दक्ष किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश और जिलों में प्रत्येक थाने में लगे कम्प्यूटरों में कोर एप्लीकेशन साफ्टवेयर (कैस) इंस्टाल किया जाएगा। इस साफ्टवेयर की जानकारी के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। फिलहाल पुलिस महकमे में डिजिटलाइजेशन के काम ने तेजी पकड़ ली है।

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लागू होगी सीसीटीएनएस

इसके अलावा केंद्र सरकार की क्राइम एंड कंट्रोल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) को लागू करने के लिए पुलिस महकमे के प्रयास तेज हो गए हैं। प्रत्येक जिलों में तैयारियां लगभग पूर्ण हैं। हालांकि मेरठ जिले के अधिकांश थानों में कंप्यूटर लगे हुए हैं, लेकिन जिन थानों में कम्प्यूटर नहीं लगे हैं उनमें इसकी व्यवस्था कर एनआइआइटी की ओर से साफ्टवेयर इंस्टाल करने का काम किया जाएगा। पुलिस विभाग में प्रयोग में होने वाले इस साफ्टवेयर को कोर एप्लीकेशन सोफ्टवेयर (कैस) का नाम दिया गया है। इसी साफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन एफआइआर दर्ज होंगी तथा अपराधियों का रिकार्ड रखा जाएगा। हालांकि इसके लिए एक वर्ष पहले जिले के पुलिस कर्मियों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया जा चुका है। थानों पर कार्यरत पुराने मुंशियों को कैस पर काम करने में दिक्कत आएगी। ऐसे में प्रशिक्षण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने की कवायद की जा रही है।

ट्रेनिंग ई-बुक वेबसाइट पर अपलोड

कंप्यूटर व नए साफ्टवेयर की जानकारी के लिए यूपी पुलिस की वेबसाइट पर ट्रेनिंग बुक भी अपलोड कर दी गई है। इस ट्रेनिंग ई-बुक के जरिए पुलिस कर्मी कंप्यूटर संबंधी कोई भी जानकारी प्राप्त कर सके हैं। प्रशिक्षण शुरू करने से पहले जल्द से जल्द डिजिटलाइजेशन का कार्य पूर्ण कराया जा रहा है। शुरूआत में दस वर्षो का रिकार्ड ऑनलाइन किया जा रहा है। मेरठ जोन में इस पर काम तेजी से चल चल रहा है।

एडीजी ने यह कहा

एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि डिजिटलाइजेशन पर विभाग में पहले से काम चल रहा है। अधिकांश थानों में एफआईआर आनलाइन दर्ज हो रही है। थानों का रिकार्ड भी आनलाइन होने से काफी आसानी हो जाएगी। इससे संबंधित थाने या कर्मचारी की पूरी कुंडली एक क्लिक में खुलकर सामने आ जाएगी।