
मेरठ। दशहरे (Dussehra) के दिन नीलकंठ (Neelkanth) पक्षी का दर्शन बहुत शुभ माना गया है। मेरठ की हस्तिनापुर सेंचुरी में नीलकंठ पक्षियों की भरमार थी। एक समय जब दशहरे के मौके पर ये नीलकंठ पक्षी शहर की ओर रूख कर लिया करते थे और लोग दशहरे के दिन सुबह से ही इन नीलकंठ पक्षियों को देखकर अपने आप को भाग्यशाली समझते थे। दशहरे के दिन अगर नीलकंठ घर की छत पर नहीं दिखा तो लोग मेरठ (Meerut) के कंपनी बाग, विश्वविद्यालय परिसर, मेडिकल कालेज परिसर, सूरजकुंड पार्क, विक्टोरिया पार्क या फिर कैंट एरिया में निकल जाते थे। उस दौर में नीलकंठ पक्षी के दर्शन लोगों को दशहरे के दिन हो ही जाते थे। लेकिन इधर करीब पांच साल से ये नीलकंठ पक्षी प्राय: विलुप्त सा हो गया है।
दशहरेे के दिन की बात तो छोड़ दीजिए अन्य दिनों में भी यह नजर नहीं आता। पक्षी विज्ञानी ए. भार्गव इसका कारण मौसम में परिवर्तन और तेजी से बढ़ता प्रदूषण को मान रहे हैं। उनका कहना है कि इस पक्षी को मौसम की सर्दी-गर्मी अधिक सहन नहीं होती। पिछले पांच सालों में जिस तरह से धरती के तापमान में वृद्धि हुई है उससे इस पक्षी के प्रजनन क्षमता पर असर पड़ा है। वहीं मेरठ के आसपास तेजी से कटते पेड़ और विलुप्त होती हरियाली के कारण भी नीलकंठ विलुप्त हो रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार नीलकंठ पक्षी भाग्य विधाता होने के साथ ही किसानों का मित्र भी कहा जाता है। क्योंकि सही मायने में नीलकंठ किसानों के खेत का रखवाला भी कहा जाता है। यह खेतों में कीड़ों और फसल को हानि पहुंचाने वाले कीटों को खाकर नष्ट कर देता है। ज्योतिषाचार्य कैलाश नाथ द्विवेदी के मुताबिक भगवान राम जब रावण से युद्ध करने के लिए जा रहे थे तो उनको इस नीलकंठ पक्षी के दर्शन हुए थे। भगवान राम ने इस पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय पाई थी। नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का रूप माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रूप धारण कर पृथ्वी पर विचरण करते हैं। दशहरा पर्व के दिन इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है। इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है। फलदायी और शुभ कार्य घर में अनवरत होते रहते हैं। दशहरे के दिन सुबह से लेकर शाम तक किसी भी समय नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है।
Published on:
07 Oct 2019 07:28 pm
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