
मेरठ। नवंबर के महीने में सितंबर जैसा सितम मौसम दिखा रहा है। हालत ये हैं कि बीते साल जिस नवंबर महीने में दिन में सूरज के दर्शन के लिए लोग तरस जाते थे और ठंड में घर से बाहर नहीं निकल पाते थे। इस वर्ष नवंबर में मेरठ की सड़कों पर लोग टी शर्ट और शर्ट पहनकर घूम रहे हैं। मानों कि ठंड का तो दूर दूर तक नामोनिशान ही नहीं है। आधे से अधिक नवंबर बीत चुका है। अभी तक के मौसम की नजाकत नहीं बदली है। इस बार ठंड ने भी अपने तेवर बदल लिए हैं।
मौसम वैज्ञानिक और पर्यावरणविदों के लिए मौसम का यह बदलाव चिंता का विषय बना हुआ है। मौसम वैज्ञानिक इसे प्रदूषण की धुंध का असर मान रहे हैं। यह भी चर्चा की जा रही है कि क्या किसी अन्य कारक का प्रभाव के कारण न्यूनतम पारा अभी तक अपेक्षित रूप से नहीं गिरा है। हालांकि पिछले छह वर्षो में नवंबर के इसी अवधि पर नजर डालें तो पांच सालों में पारा 10 डिग्री से गिर कर इकाई में रह जाता था। बुधवार को न्यूनतम पारा इस सीजन का सबसे न्यूनतम 11.2 डिग्री दर्ज हुआ।
प्रदूषण की परत जिम्मेदार
मेरठ कालेज के भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. कंचन सिंह बताते हैं कि यह चिंता का विषय है। उन्होंने बताया कि वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं की परत वातावरण में जमा हो गई है। हवाओं की गति पहले से कम है। वहीं उच्च तीव्रता पश्चिम विक्षोभ अभी तक सक्रिय नहीं हुआ है जिसके चलते ठंडी हवाओं का प्रवाह जितना होना चाहिए उतना नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि यदि ऐसा ही रहा तो आने वाले सालों में नवंबर में अगस्त जैसा मौसम लोगों को महसूस करना होगा। सर्दी के महीने घटकर मात्र जनवरी और फरवरी ही रह जाएंगे।
पिछले सात वर्षों में नवंबर माह में मेरठ का औसत तापमान
वर्ष न्यूनतम अधिकतम
2012-8.7-21
2013-7.4-15
2014-9.1-19
2015-8.9-20
2016-9.6-20
2017-9.7-16
2018-8.3-11
Updated on:
21 Nov 2019 05:17 pm
Published on:
21 Nov 2019 05:16 pm
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