
केपी त्रिपाठी, मेरठ। 15 सितंबर रविवार को World Lymphoma Awareness Day है। लिम्फोमा को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। शरीर में अगर कहीं कोई गांठ हैं तो उसको नजरअंदाज कर दिया जाता है। यह कहना है हेमाटोलाॅजिस्ट और बोन मैरो ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डा. राहुल भार्गव का। उन्होंने बताया कि लिम्फोमा एक प्रकार का ब्लड कैंसर होता है। आज 60 से 70 प्रतिशत लिम्फोमा के मरीज ठीक हो सकते हैं।
आखिर क्यों होता है लिम्फोमा
लिम्फोमा का कारण प्रदूषण, अनुचित खानपान के अलावा खेती में पेस्टीसाइट का अधिक प्रयोग है। ये सब लिम्फोमा के कारणों में से हैं। लिम्फोमा गांठों का एक प्रकार का कैंसर होता है, जो अन्य प्रकार के कैंसर से थोड़ा अलग होता है। यह शरीर में किसी भी जगह हो सकता है। हाथ में गांठ का होना, पेट या गले में गांठ का होना आदि।
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लिम्फोमा के लक्षण
लगातार कमजोरी महसूस हो रही है, रात में पसीना आता है, लगातार बुखार आते रहना, यह लिम्फोमा के लक्षण हो सकते हैं। ये सभी प्रकार के लक्षण टीबी में भी होते हैं। शरीर में किसी भी स्थान पर गांठ निकल आती है, लेकिन उसमें दर्द नहीं होता इसको टीबी की गांठ मानकर इलाज करवाया जाता है। इसकी बायोप्सी करवाकर जांच करवाई जानी चाहिए। इससे ही टीबी और लिम्फोमा के बारे में पता चलता है। लिम्फोमा में चार स्टेज होती हैं। इन चार स्टेज में यह पहली स्टेज में पकड़ा जाए तो कम पैसे यानी 25 से तीस हजार में 99 प्रतिशत ठीक हो सकता है।
पहली स्टेज में चिकित्सक के पास
डा. भार्गव ने बताया कि हमको सबसे पहले बायोप्सी के माध्यम से यह जानना है कि शरीर में होने वाली गांठ किस प्रकार की है और किस लिम्फोमा किस स्टेज की है। अगर लिम्फोमा की प्रथम स्टेज है जो इसके लिए तुरंत चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए।
आपरेशन से शत प्रतिशत ठीक
डा. राहुल भार्गव का कहना है कि शरीर की गांठ अगर लिम्फोमा है तो यह दवाइयों से, कीमो थैरेपी से और आपरेशन द्वारा ठीक हो सकती है। स्टेज प्रथम और द्वितीय में यह दवाई के द्वारा पूर्णता ठीक हो सकती है। जबकि स्टेज तीन और चार में आॅपरेशन के बाद कीमो थैरेपी से इसको ठीक किया जा सकता है।
Published on:
15 Sept 2019 10:29 am
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