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अखिलेश व मायावती की राह चली योगी सरकार, इतने बड़े घोटाले पर साधी चुप्पी

हाइवे निर्माण के लिए जारी हुए करोड़ों रुपये का नहीं कोई अता-पता

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मेरठ

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Rahul Chauhan

Apr 08, 2018

Yogi-mayawati-Akhilesh

बागपत। जिले की लाइफ-लाइन कहे जाने वाला और राजनीति में अहम मुददा रहने वाला दिल्ली-यमुनोत्री मार्ग एनएच-709बी बागपत के लिए जितना वरदान है उतना ही घोटालों का वंशज भी।

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सपा सरकार में इस मार्ग को पूरा दिखाकर 455 करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद भी इस मार्ग को भाजपा सरकार ने अपने दम पर छह लेन बनाने का प्रयास किया और अब निर्माण कम्पनी एनएचएआई के कार्यालय का उद्घान कर बागपत की लाइफ-लाइन में इजाफा कर यहां के विकास को गति दे दी, लेकिन सवाल इस बात का है कि आखिर इस मार्ग के नाम पर 455 करोड़ का घोटाला करने वालों का क्या होगा?

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आपको बता दें कि इस मार्ग पर बसपा शासन काल में एसईडब्ल्यूएसएसवाई हाइवेज लिमिटेड कम्पनी को वर्ष 2011 में काम दिया गया था और इसके निर्माण की लागत 1700 करोड़ रखी गयी थी। मार्ग निर्माण के लिए सड़क किनारे बसे कई गांव में बुल्डोजर चलाकर सड़क से घरों को हटाया गया था। डूंडाहेडा से लेकर ककड़ीपुर तक करीब एक हजार घरों को सड़क बनाने के तोड़ा गया।

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इसके बाद 2012 में सपा सरकार बनी तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से पेड़ नहीं कटने की एनओसी न मिलने का बहाना बनाकर सड़क निर्माण कार्य रोक दिया गया। उसके बाद 2014 में क्षेत्र के सांसद बने स्थानीय सांसद डा. सत्यपाल सिंह ने पेड़ काटने की एनओसी जारी कराई और सड़क किनारे खड़े 7500 पेड़ काटे गये। बावजूद इसके तत्कालीन सपा सरकार ने स्टेट हाइवे निर्माण शुरू नहीं कराया, लेकिन सरकार बदलते ही कार्यदायी संस्था ने एक खेल कर दिया।

कार्यदायी संस्था ने दिल्ली-यमुनोत्री स्टेट हाइवे की सड़क को कागजों में बना हुआ दिखाकर बैंकों से 455 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर कार्यदायी संस्था डकार गई। अब इस मार्ग के लिए राह और भी कठिन हो गयी, लेकिन क्षेत्रीय सांसद व केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने हार नहीं मानी और योगी सरकार से एक हजार करोड़ की देनदारियों रहित अनापत्ति प्रमाण पत्र दिलाकर केंद्र सरकार से दिल्ली-यमुनोत्री स्टेट हाइवे-57 को नेशनल हाइवे-709बी घोषित कराया। इतना सब होने के बाद भी आसानी से मोटा बजट आवंटित कराना कोई हंसी-खेल नहीं था।

लिहाजा अब बागपत में एनएचएआई का क्षेत्रीय दफ्तर खुलने के बाद दिल्ली-यमुनोत्री हाइवे निर्माण की राह आसान हो गयी है। लेकिन 2011 से लेकर 2018 तक इस मार्ग के नाम पर जो पैसे का खेल हुआ वो आज भी खेल बनकर ही रह गया। केंद्रीय मंत्री के प्रयास से इस मार्ग को बनाने का रास्ता तो खुल गया, लेकिन जिन लोगों द्वारा करोड़ों का घोटाला किया गया। उनको आज तक न तो कोई सजा मिली और न ही इस ओर कोई कदम बढ़ाया गया।