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बच्चों के भविष्य से खिलवाड़, बीस दिन बाद भी नहीं मिली एनसीईआरटी की किताबें

बच्चों का दुर्भाग्य कहें या सरकार की नाकामी कि बीस दिनों के बीत जाने के बाद भी सरकार अब तक किताबें छपा तक नहीं पाई

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बच्चों के भविष्य से खिलवाड़, बीस दिन बाद भी नहीं मिली एनसीईआरटी की किताबें

मिर्जापुर. यूपी की सरकार ने एनसीईआरटी की तर्ज पर कक्षायें चलाने और सीबीएससी बोर्ड कि तर्ज पर पाठ्क्रम में एनसीआरटी कि किताबों को शामिल करने का का एलान तो कर दिया। लेकिन इसे बच्चों का दुर्भाग्य कहें या सरकार की नाकामी कि बीस दिनों के बीत जाने के बाद भी सरकार अब तक किताबें छपा नहीं पाई। बच्चों और अभिभावकों को लगा था कि यूपी सरकार शिक्षा में जो बदलाव कर रही है वो उनके सुनहरे दिनों को सजाने का काम करेगा। लेकिन हैरा करने वाली बात ये रही है बच्चे आज भी किताबों के इंतजार में दिन गिन रहे हैं। लेकिन स्कूलों के पास सरकार के कोरे भरोसे के अलावा कुछ भी नहीं है। इस हाल में ये बच्चे पुरानी और फटी किताबों में अपने जीवन का आधार रच रहे हैं।

जी हां प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद प्राइमरी स्कूलों में नए सत्र से सीबीएससी बोर्ड कि तर्ज पर पाठ्क्रम में एनसीआरटी कि किताबो को शामिल करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए शासन ने अप्रैल से शुरू हुए इस सत्र में किताबे छात्रों को उपलब्ध करवाने के लिए सभी अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया। मगर अप्रैल में सत्र शुरू होने के बाद अभी तक बच्चों के पास एनसीईआरटी कि किताबें नहीं पहुँची। मजबूरी में वह पुरानी किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूलों में पुरानी किताबों के स्टाक को बच्चो में बांट दिया गया उसी किताब से अध्यापक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। शहर के रानी कर्णावती प्राइमरी पाठशाला कि प्रिंसिपल मधुरिमा तिवारी का कहना है कि मजबूरी में से बच्चों को पुरानी किताब देनी पड़ रही है। नई एनसीईआरटी कि किताब अभी मिली नहीं है, इसलिए पुरानी किताब से ही काम चलना पड़ रहा है। हालांकि बच्चों को यह अभी तक नही पता कि उन्हें इस सत्र में किस किताब से पढ़ना है। जब बच्चों से पूछा गया तो वह पुरानी किताबें निकाल कर दिखाने लगे।

शिक्षाधिकारी बोले, जल्द मिलेंगी पुस्तकें

वहीं स्कूलों में बच्चो को अब तक एनसीईआरटी की पुस्तकें नहीं दिए जाने के सवाल पर सफाई देते हुए शिक्षा विभाग के खण्ड शिक्षा अधिकारी शशिकांत श्रीवास्तव ने बताया कि एनसीईआरटी की किताबों के लिए टेंडर हो गया है। उम्मीद है कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक प्रकाशन से हमें पुस्तकें मिल जाएंगी। उन्हें बच्चो को प्रदान कर दिया जाएगा। तब तक शासन के निर्देश पर पुरानी किताबों से ही काम चलाया जा रहा है। फिलहाल किताबों पर शिक्षा विभाग के अपने दावे हैं। देखना होगा कब पूरे होंगे मगर सरकार के पूरी व्यवस्था पर सवालिया निशान जरूर लग गया।आखिर जब नई किताबें अभी छपी नहीं तो फिर अप्रैल से स्कूल खोलने का क्या फायदा।जबकि संभावना जताई जा रही है कि बच्चो को एनसीईआरटी की किताबों को मिलने में कम से कम दो महीने का समय लग सकता है।


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