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देश में कोरोना के कुल मरीजों में 33% महाराष्ट्र से, हालात पहले से ज्यादा खतरनाक

पिछले तीन महीने में कुल कोरोना मरीजों में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी एक तिहाई से ज्यादा हो गई है। मार्च से लेकर अब तक देश में कोरोना मामलों की वृद्धि दर महाराष्ट्र के हिसाब से जारी है। अकेले मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या 30,542 हो गई है।

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Maharashtra cases

कोरोना के शुरुआती मामलों से लेकर अभी तक सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र से आने का सिलसिला जारी है।

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस ( coronavirus ) से संक्रमित मरीजों में रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी जारी है। इस मामले में महाराष्ट्र की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। 24 मार्च को जब देश में पहला लॉकडाउन ( Lockdown ) लागू हुआ तब देश में कुल कोरोना मामलों में से हर 5वां मरीज महाराष्ट्र ( Maharashtra ) से था। लेकिन दो महीने के बाद जब देश में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ते हुए 1.3 लाख के पार पहुंच गई है, तो महाराष्ट्र की हिस्सेदारी कम होने के बजाए एक तिहाई से ज्यादा हो गई है। पिछले कुछ दिनों में तो रिकॉर्डतोड़ संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं।

कोरोना के प्रकोप से भारत तीन महीने से ज्यादा समय से ग्रस्त है। कोरोना के शुरुआती मामलों से लेकर अभी तक सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र से आने का सिलसिला जारी है। 24 मार्च को,जब देश में पहला लॉकडाउन लागू किया गया था, तब देश के कोरोना वायरस संक्रमणों का महाराष्ट्र में 5वां हिस्सा था। 2 महीने के बाद जब देश में संक्रमण तेजी से फैला और संक्रमितों की संख्या 1.3 लाख के पार पहुंच गई है तो महाराष्ट्र की हिस्सेदारी ( Maharashtra Contribution ) बढ़कर एक तिहाई से अधिक हो गई है।

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अगर हम पिछले 10 दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण की बात करें तो जो नए मामले सामने आए हैं उसमें से 40 फीसदी से अधिक की भागीदारी अकेले महाराष्ट्र से है। महाराष्ट्र की वजह से राष्ट्रीय औसत में भी गिरावट नहीं हो रही है। देश में कोरोना मामलों की वृद्धि महाराष्ट्र के हिसाब से जारी है।

जानकारों का कहना है कि अगर महाराष्ट्र में कोरोना के कहर को कम कर लिया जाए तो इसका सीधा असर देश के बढ़ते मामलों पर पड़ेगा। लेकिन यह करना इतना आसान नहीं है। ऐसा इसलिए कि उद्धव सरकार पिछले तीन महीनों में कोरोना को नियंत्रित कर पाने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है। खासकर मुंबई और पुणे ( Mumbai and Pune ) में महाराष्ट्र सरकार की तैयारियों को कोई असर ही नहीं दिख रहा है।

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चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमैटिकल साइंसेज की सीताभरा सिन्हा का कहना है कि कन्टेनमेंट पर्सपेक्टिव से देखें तो यह अच्छा है। अगर बड़ी संख्या में संक्रमितों को एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र में केंद्रित कर दिया जाए। साथ ही पूरे क्षेत्र को आइसोलेट किया कर दिया जाए। लेकिन ऐसा कर पाना संभव नहीं है। मुंबई और पुणे और इनके आस-पास का इलाका सबसे ज्यादा इन्फेक्टेड हैं।

सैद्धांतिक रूप से यदि हम यह सुनिश्चित करें की कोई भी व्यक्ति इस छेत्र से बाहर न जाए और न ही कोई अंदर आए तो हम इस वायरस को बिना कहीं और फैलाए इसी क्षेत्र में नियंत्रित कर सकते हैं। लेकिन पूरे शहरों को क्वारंटाइन ( Quarantine ) में रखना आसान नहीं है। खासकर अगर देश के वित्तीय और औद्योगिक कल्याण की दृष्टि से मुंबई और पुणे जैसे शहरों को।

आपको बता दें कि पिछले 24 घंटों में महाराष्ट्र में 3041 नए मामले सामने आए जिसके बाद यहां संक्रमितों का आंकड़ा 50,000 के पार हो गया है। इसी के साथ अब यहां कुल 50,231 संक्रमित हो गए हैं। कोरोना वायरस से महाराष्ट्र में अब तक 1,635 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं अकेले मुंबई में संक्रमित मरीजों की संख्या 30,542 हो गई है।