
नई दिल्ली।
आज महिलाएं भले ही आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों, मगर उनके वित्तीय निर्णय एकल नहीं होते हैं, फिर भले ही वह एकल हों या शादीशुदा। करीब 66 प्रतिशत एकल महिलाएं वित्तीय निर्णयों पर परिजनों पर निर्भर रहती हैं। 28 प्रतिशत पिता पर, तो 5 प्रतिशत मां पर निर्भर रहती हैं। 69 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं भी अपने वित्तीय निर्णय खुद नहीं लेतीं। यह तथ्य देश की एक फाइनेंशियल प्लानिंग फर्म की सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है।
उम्र के साथ बढ़ती है निर्भरता
एक अहम बात यह है कि महिला की वैवाहिक स्थिति और मातृत्व, उसके वित्तीय निर्णय लेने की स्थिति को प्रभावित करते हैं। जैसे-जैसे महिलाएं जीवन के चरणों की ओर बढ़ती हैं, वह वित्तीय फैसले लेने में कम स्वतंत्र होती है। सिर्फ 24 प्रतिशत महिलाएं ही खुद से वित्तीय फैसले लेती हैं। सर्वे 24 से 54 वर्ष की महिलाओं के बीच किया।
बच्चों में विकसित करती हैं वित्तीय समझ
महिलाएं बच्चों में वित्तीय समझ जरूर विकसित कर रही हैं। 91 प्रतिशत महिलाओं ने बच्चों को वित्त के बारे में पढ़ाया है, जबकि 86 प्रतिशत ने कहा कि वे अपने बच्चों में ईमानदारी से कमाएं पैसे की आदतें डालती हैं। लगभग 9 से 10 प्रतिशत महिलाओं ने अपने बच्चों को पैसे बचाने के लिए गुल्लक दिया है।
आदत में शुमार
छोटी उम्र से ही बच्चियों को कहते हैं कि वित्तीय निर्णय में पिता या बड़ों को भागीदार बनाएं। धीरे-धीरे यह आदत में शुमार हो जाता है। एकल महिला पिता या अन्य से पूछना जरूरी समझती हैं।
- शताब्दी अवस्थी, सिंगल वुमन
सामाजिक परंपरा
हमारी सामाजिक परंपरा रही है कि पैसा खर्च करने से पहले बड़ों की सलाह ली जाती है, यही वजह है कि आर्थिक रूप से संपन्न महिलाएं भी बड़ा निवेश करने में आत्मनिर्भर नहीं बन पाई।
- कल्पना शर्मा, विधिक सलाहकार
Published on:
11 Dec 2020 12:37 pm
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