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राम मंदिर पर दिवाली के आसपास मिलेगी बहुत बड़ी खुशखबरी! 17 नवंबर से पहले की तारीख संभव

locationनई दिल्लीPublished: Sep 18, 2019 11:45:26 am

Submitted by:

Kapil Tiwari

सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा है कि 18 अक्टूबर तक इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली जाएगी और अगले 4 हफ्ते फैसला लिखने में लगेंगे।

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नई दिल्ली। भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहा अयोध्या विवाद अब अपने अंतिम चरण पर पहुंच चुका है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने इस मामले में बहुत जल्द फैसला आने के संकेत दे दिए हैं। माना जा रहा है कि दिवाली के आसपास पूरे देशवासियों को राम मंदिर मामले में बहुत बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। बात करें तारीख की तो 17 नवंबर से पहले राम मंदिर मामले में बहुत बड़ा फैसला आ सकता है।

17 नवंबर को रिटायर होंगे रंजन गोगोई

दरअसल, सीजेआई रंजन गोगोई ने ये उम्मीद जताई है कि 18 अक्टूबर तक इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली जाएगी और संभव है कि उसके 4 हफ्ते के बाद फैसला आ जाएगा। 17 नवंबर से पहले राम मंदिर मामले में बड़ा फैसला आना संभव माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं और वो चाहते हैं कि उनकी रिटायरमेंट से पहले इस केस का फैसला सुना दिया जाए। इसके लिए रंजन गोगोई ने शनिवार को सुनवाई किए जाने के संकेत दिए हैं।

बड़े केस का ‘सुप्रीम’ फैसला लिखने में लगेंगे 4 हफ्ते

आपको बता दें कि राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई चल रही है और बुधवार को सीजेआई रंजन गोगोई ने इस मामले से जुड़ी बहुत बड़ी जानकारी दी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि एक महीने में बहस पूरी करने के लिए सभी पक्षों को कोशिश करनी पड़ेगी। जरूरत पड़ी तो हम शनिवार को भी सुनवाई के लिए तैयार हैं। 18 अक्टूबर के बाद हमें फैसला लिखने के लिए चार हफ्तों का समय मिलेगा। यानि कि 17 नवंबर से पहले राम मंदिर को लेकर देशवासियों को बहुत बड़ा फैसला सुनने को मिल जाएगा।

कोर्ट ने मध्यस्थता के विकल्प को भी बरकरार रखा है

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की 26वें दिन लगातार सुनवाई के दिन सीजेआई रंजन गोगोई ने खुद कहा है कि हमें उम्मीद है कि 17 नवंबर से पहले इस केस में बहुत बड़ा फैसला आ जाएगा। हांलिक इस दौरान मध्यस्थता की कोशिशें भी जारी रहेंगी। सीजेआई ने कहा है कि हमें फैसला लिखने में 4 हफ्ते का समय लगेगा और इस बीच में दोनों परक्षकार मध्यस्थता या किसी अन्य तरीके से मामला निपटाना चाहते हैं, तो कर सकते हैं।

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