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जरूरी बना रहेगा आधार पर सरकार ने 31 दिसंबर तक बढ़ाई डेडलाइन

आधार कार्ड को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नवंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा।

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नई दिल्ली। आधार कार्ड को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट नवंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा। सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए 30 सितंबर की समय-सीमा को केंद्र सरकार बढ़ाकर 31 दिसंबर 2017 कर दिया है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं है। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई नवंबर में करेगा। दरअसल, केंद्र सरकार ने पब्लिक वेलफेअर स्कीम के लिए 30 सितंबर तक की छूट दी थी। 30 सितंबर के बाद आधार कार्ड नहीं होने पर व्यक्ति को सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ नहीं मिलता। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना था। संवैधानिक पीठ ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन पीठ ने साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा।

'आधार' के खिलाफ लगाई गई है जनहित याचिका
याचिकाकर्ता शांता सिन्हा की ओर से पेश वकील ने मामले को उठाया और कहा था कि कोर्ट का आदेश है कि आधार अनिवार्य नहीं स्वैच्छिक है लेकिन सरकार तमाम योजनाओं जैसे छात्रवृत्ति, भोजन का अधिकार से लेकर तमाम योजनाओं में इसे अनिवार्य कर रही है। सरकार ने अधिसूचना जारी कर कहा कि 30 जून के बाद करीब 17 प्रकार की योजनाओं में 'आधार' अनिवार्य होगा। इस मामले में आधार कार्ड की अनिवार्यता के खिलाफ दाखिल याचिका पर तुरंत सुनवाई होनी चाहिए और बेंच को इसके लिए आदेश पारित करना चाहिेए। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना पक्ष रखने के लिए कहा था।

ये है मामला और आधार पर अब तक ये आदेश हो चुके हैं पारित
11 अगस्त 2015 का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि आधार कार्ड किसी भी सरकारी योजना के लाभार्थी के लिए अनिवार्य नहीं होगा। कोर्ट ने कहा था कि सरकार को इस बात की आजादी है कि वह पीडीएस, केरोसिन और एलपीजी वितरण के लिए आधार का इस्तेमाल कर सकती है लेकिन इन सेवाओं के लिए भी आधार अनिवार्य नहीं होगा।

निजता का मुद्दा
निजता के अधिकार के मामले को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मामले को संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया था। याची का कहना था कि आधार कार्ड के लिए ली जाने वाली जानकारी निजता के अधिकार में दखल है और यह मूल अधिकार है। वहीं केंद्र का कहना था कि निजता का अधिकार मूल अधिकार नहीं है। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से लोगों को यह बताए कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है।

15 अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बेंच ने सरकार को इस बात की इजाजत दी थी कि वह पीडीएस, केरोसिन और एलपीजी वितरण के अलावा पीएम जनधन योजना, मनरेगा, पीएफ और पेंशन स्कीम के लिए आधार का इस्तेमाल कर सकती है। लेकिन साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फिर साफ किया था कि इन मामलों में भी आधार अनिवार्य नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के आदेश में बदलाव किया था और सरकार को उक्त योजनाओं के लिए भी स्वैच्छिक तौर पर आधार के इस्तेमाल की छूट दी है।

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