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1946 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, जो ICJ में शामिल नहीं हुआ ब्रिटेन का जज

चार जजों को तो आसानी से बहुमत मिल गया था, लेकिन आखिरी सीट के लिए दलवीर भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच कड़ा मुकाबला था।

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Kapil Tiwari

Nov 21, 2017

International Court of Justice

International Court of Justice

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक नई कामयाबी हासिल हुई है। सोमवार को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के 15 सदस्यीय पैनल में भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी को दोबारा से जज चुना गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दलवीर भंडारी को बधाई दी है। पीएम मोदी ने दलवीर भंडारी का आईसीजे का जज चुने जाना देश के लिए गौरव भरा पल बताया है। आईसीजे में इस बार जहां एक तरफ भारत के लिए गौरव का क्षण हैं, तो वहीं ब्रिटेन के लिए ये काफी चौंकाने वाला है। दरअसल, ऐसा पहली बार हुआ है, जब आईसीजे में ब्रिटेन के जज को नहीं चुना गया है।

1946 के बाद पहली बार हुआ ऐसा...
इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का गठन साल 1946 में हुआ था। तभी से ब्रिटेन का कोई न कोई जज आईसीजे में जरूर शामिल होता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। वैसे सीधे तौर पर ऐसा भारत के दलवीर भंडारी की मजबूत दावेदारी के चलते हुए है, क्योंकी ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड का सीधा मुकाबला दलवीर भंडारी से ही माना जा रहा था।

लास्ट मौके पर चुनाव से हटे ब्रिटेन के उम्मीदवार
आईसीजे में जज की आखिरी सीट के लिए भारत के दलवीर भंडारी और ब्रिटेन के क्रिस्टोफर के बीच ही मुकाबला था लेकिन आखिरी क्षणों में ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया था। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक कोई जानकारी नहीं है कि आखिर किस वजह से ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, कुछ कूटनीतिककारों का कहना है कि यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलग हटने के चलते उसकी ताकत कम हुई और इसी की वजह से उसने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया था।

5 जजों के लिए हुआ था चुनाव
आपको बता दें कि नीदरलैंड के हेग स्थित संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था आईसीजे में 15 जज होते हैं। यह संस्था दो या उससे अधिक देशों के बीच के विवादों के निपटारे करने का काम करती है। भारत और पाकिस्तान के बीच कुलभूषण यादव के मामले में भी आईसीजे में सुनवाई की गई थी। हर तीन साल बाद आईसीजे में 5 जजों का चुनाव होता है। इन जजों का कार्यकाल 9 साल का होता है।

इन चार देशों के जजों को आसानी से मिला पूर्ण बहुमत
आईसीजे के चुनाव के लिए चार फेज में वोटिंग हुई थी, जिसमें भारत के दलवीर भंडारी के अलावा फ्रांस के रूनी अब्राहम, सोमालिया के अब्दुलकावी अहमद युसूफ, ब्राजील के एंटोनियो अगुस्टो कैंकाडो, लेबनान के नवाफ सलाम को जज चुना गया है। इनमें से दलवीर भंडारी को छोड़कर चारों देशों के जजों को संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में आसानी से बहुमत मिल गया था, लेकिन बाद में आखिरी बची सीट पर भारत और ब्रिटेन के बीच कड़ा मुकाबला था, जो दलवीर भंडारी के पक्ष में रहा।

आखिरी मौके पर दलवीर भंडारी ने मारी बाजी
आखिरी सीट के लिए ग्रीनवुड को सुरक्षा परिषद में बहुमत मिलता दिख रहा था, जबकि 193 देशों की आम महासभा में भंडारी को समर्थन था। लेकिन, अंत में सुरक्षा परिषद में भी भंडारी को समर्थन मिल गया, जबकि कमजोर समर्थन के चलते ब्रिटेन को ग्रीनवुड्स की उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी। इसके चलते सोमवार को भंडारी आसानी से महासभा और परिषद द्वारा चुन लिए गए।