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आर्टिकल 370 हटने के बाद से कश्मीर में 144 नाबालिग हुए हैं गिरफ्तार, सुप्रीम कोर्ट में पहुंची रिपोर्ट

जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ने ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी बच्चे की अवैध गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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Kapil Tiwari

Oct 02, 2019

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से घाटी में शांति का माहौल है। केंद्र सरकार ने अभी तक भी वहां पर सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की हुई है। इस बीच घाटी के हालातों को लेकर एक बड़ी जानकारी सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई है। दरअसल, जम्मू कश्मीर किशोर न्याय समिति (जुवेनाइल जस्टिस कमेटी) की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद से वहां 144 नाबालिगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि इनमें से किसी की भी अवैध गिरफ्तारी नहीं हुई है।

9 और 11 साल के बच्चों की हुई है गिरफ्तारी

जुवेनाइल जस्टिस कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए 144 नाबालिगों में 9 और 11 साल के बच्चे शामिल हैं। रिपोर्ट में डीजीपी और जम्मू कश्मीर चाइल्ड प्रोटेक्शन सोसाइटी की रिपोर्ट के हिस्सों को शामिल किया गया है। इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही बेंच को सौंप दिया गया है। इस बेंच में जस्टिस एनवी रामना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई शामिल हैं। वहीं जुवेनाइल जस्टिस कमेटी की अगुवाई जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के जज जस्टिस अली मोहम्मद मागरे कर रहे थे।

क्या कहा गया है रिपोर्ट में

आर्टिकल 370 के हटने के बाद से भारत सरकार की यही कोशिश रही है कि घाटी में किसी भी तरह शांति का माहौल बनाए रखा जाए। इसी वजह से सुरक्षाबलों ने ये गिरफ्तारियां की हैं, क्योंकि घाटी में माहौल को खराब करने के लिए सबसे ज्यादा नाबालिगों का इस्तेमाल किया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ बच्चों को हिरासत में लिए जाने के बाद उसी दिन छोड़ दिया गया था और बाकी को नाबालिग मानकर प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई जो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2013 के प्रावधानों के अनुरूप है।

किसी बच्चे की नहीं हुई है अवैध गिरफ्तारी- रिपोर्ट

जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की एक रिपोर्ट का ज़िक्र करते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है, "सरकारी मशीनरी लगातार क़ानून को पुष्ट रखे हुए है और क़ानून का उल्लंघन करते हुए एक भी नाबालिग अवैध हिरासत में नहीं लिया गया है।" इस रिपोर्ट में उन मीडिया रिपोर्ट्स को भी खारिज किया गया, जिसमें पुलिस के द्वारा नाबालिगों को कैद में डालने का आरोप लग रहा था। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे आरोपों की वजह से पुलिस की छवि को खराब किए जाने की कोशिश की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर को जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी से कहा था कि वह 5 अगस्त के बाद से बच्चों को अवैध हिरासत में रखने के आरोपों पर एक रिपोर्ट सौंपे।