
मुंबई में कोरोना मरीजों की दोगुना होने की कालावधि 33 दिन
मुंबई। कोरोना वायरस महामारी ( Coronavirus outbreak ) से जूझते मुंबई में अब नए मामलों की संख्या कम होने लगी है। जबकि एशिया की सबसे बड़ी झुग्गीबस्ती कही जाने वाली धारावी में भी इस वायरस के फैलते मामलों पर काफी हद तक कंट्रोल किया जा चुका है। इस बीच यह बात सामने आ रही है कि इस महामारी के प्रभाव का देश में सर्वाधिक सामना करने के बाद संभवता मुंबई से कोरोना ( Covid 19 Mumbai ) का चरम वक्त गुजर गया है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अभी यहां पर बड़ी चुनौती सामने आने वाली है।
इस संबंध में महाराष्ट्र सरकार ( Maharashtra government ) द्वारा कोरोना नियंत्रण के लिए बनाई टीम के प्रमुख डॉ. संजय ओक की मानें तो अब नए मामलों, ठीक होने की दर, मृत्यु दर और दोगुने होने की दर में कमी आई है। इन आंकड़ों को देखने से लग रहा है कि मुंबई के लिए कोरोना का कहर या फिर कहें सबसे बुरा वक्त गुजर गया है।
हालांकि डॉ. ओक ने चेतावनी देते हुए कहा कि अब लोगों को अनलॉक और मानसून से सचेत रहना होगा। उन्होंने कहा कि बारिश का मौसम ( monsoon in mumbai ) इस कामयाबी को बर्बाद भी कर सकता है और इतने लंबे वक्त तक की गई कोशिशें बेकार हो सकती हैं। ऐसे में लोगों को चाहिए कि वो अतिरिक्त सावधानी बरतें ( Coronavirus Precautions ) और सुरक्षित रहें।
वहीं, मुंबई के कुछ चुनिंदा इलाकों में सामने आते कोरोना के नए मामलों को लेकर डॉ. ओक ने चिंता भी जाहिर की। गौरतलब है कि मायानगरी की बहुमंजिला इमारतों (अपार्टमेंट्स) में कोरोना वायरस के नए मामले तेजी के साथ सामने आ रहे हैं। बीएमसी ( Brihan Mumbai Municipal Corporation ) के आंकड़ों की मानें तो मुंबई की सील की गईं बहुमंजिला इमारतों में नए मामले सामने आए हैं।
इसकी वजह के बारे में बताया जा रहा है कि हाउसिंग सोसायटी में लोग सख्ती से नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इन नए केसों ने बीएमसी की परेशानी बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मुंबई के कई इलाकों के बहुमंजिला रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स D वार्ड (ग्रांट रोड) और T वार्ड (मुलुंड) में कोरोना वायरस के नए केस बढ़े हैं। आलम यह है कि अनलॉक 1.0 की घोषणा के बाद से इन इमारतों से 379 नए मामले सामने आए हैं।
वहीं, धारावी में कोरोना के नए केस में कमी लाने में प्रशासन को सफलता मिली है। अप्रैल की शुरुआत में जब यहां कोरोना के नए केस बढ़े थे तब भयावह स्थिति की कल्पना की जा रही थी। मूलभूत सुविधाओं की कमी और बेहद सघन बस्ती में सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन मुश्किल था। लेकिन प्रशासन की मेहनत का रंग दिखना शुरू हो चुका है।
Updated on:
25 Jun 2020 12:10 am
Published on:
24 Jun 2020 11:58 pm
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