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कृषि क्षेत्र ने गिरती अर्थव्यवस्था को संभाला, लॉकडाउन में मिली छूट हो सकती है बड़ी वजह

Highlights. – वर्ष 2020-21 में खेती और इससे जुड़े दूसरे सेक्टर में 11.7 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हो सकती है – इकानॉमिक सर्वे के अनुसार, लॉकडाउन और कोरोना महामारी की वजह से कई कारोबार प्रभावित हुए – महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था (वर्ष 2020-21 के दौरान) में 8 प्रतिशत की नकरात्मक वृद्धि हो सकती है
 

Mar 07, 2021 / 11:08 am

Ashutosh Pathak

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नई दिल्ली।

महाराष्ट्र में खेती और इससे जुड़े कारोबार को लेकर अच्छी खबर है। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2020-21 में खेती और इससे जुड़े दूसरे सेक्टर में 11.7 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हो सकती है। माना जा रहा है कि इस साल का बेहतर मानसून इसकी बड़ी वजह है। यह बात इकानॉमिक सर्वे में सामने आई है।
बता दें कि महाराष्ट्र में इस साल मानसून सामान्य से 113.4 प्रतिशत पर था। पिछले साल लॉकडाउन और कोरोना महामारी की वजह से कई कारोबार प्रभावित हुए, जिससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा।

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कोरोनाकाल में खेती सबसे कम प्रभावित क्षेत्र
इकानॉमिक सर्वे में आए आंकड़ों पर गौर करें तो स्पष्ट तौर पर अनुमान लगाया जा रहा है कि महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था (वर्ष 2020-21 के दौरान) में 8 प्रतिशत की नकरात्मक वृद्धि हो सकती है। वहीं, कोरोना
महामारी और लॉकडाउन की वजह से हुए नुकसान के बाद उद्योगों और सेवाओं का आंकड़ा 19 लाख 62 हजार 539 करोड़ रुपए रह सकता है। बहरहाल, इस बार कई उद्योगों के बीच खेती-किसानी ऐसा अकेला क्षेत्र रहा, जिस पर महामारी की मार कम पड़ी।
खेती को मिली थी लॉकडाउन से छूट
वैसे माना यह भी जा रहा है कि पिछले साल लॉकडाउन में जिन क्षेत्रों को छूट दी गई थी, उसमें कृषि क्षेत्र और इससे जुड़ा कारोबार भी शामिल था। ऐसे में यह सेक्टर इसलिए भी फायदे में रहा होगा, क्योंकि लॉकडाउन का असर इस क्षेत्र पर नहीं था। इसके अलावा, सरकार की ओर से किए गए दूसरे उपाय मसलन, खेती में इस्तेमाल होने वाली चीजों का परिवहन और वितरण, उपज की बिक्री और उनका परिवहन, लाइसेंस की ऑनलाइन सुविधा, राज्यों के बीच आपसी समन्वय और नई तकनीक के इस्तेमाल की वजह से भी कृषि क्षेत्र को काफी फायदा हुआ और यह दूसरे क्षेत्रों की तरह नुकसान से बच सका।
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पानी और बिजली की आपूर्ति भी अच्छी रही
हालांकि, विशेषज्ञों और खेती से जुड़े जानकारों का यह भी मानना है कि पिछले साल लॉकडाउन में औद्योगिक और कमर्शियल यूनिट बंद थीं। यह भी कृषि क्षेत्र को फायदा पहुंचाने में मददगार साबित हुआ। दरअसल, औद्योगिक और कमर्शियल यूनिट बंद होने से कृषि क्षेत्र को भरपूर पानी और बिजली की आपूर्ति की जा सकी, जो अच्छी फसल के लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा, लॉकडाउन में मजदूर अपने घर लौटे, जिससे वे खेती पर अधिक ध्यान दे पाए। उनका यह भी मानना है कि कृषि उपज की मार्केटिंग आसान और असरदार ढंग से हुई। दूसरे क्षेत्रों के लिए परिवहन और दूसरी सुविधाओं पर लॉकडाउन में जहां पाबंदियां लगी हुई थीं, तो कृषि क्षेत्र इन सबसे अछूता था। इस पर किसी तरह की पाबंदियां नहीं थीं, जिससे इस क्षेत्र को बढऩे में काफी मदद मिली। इकानॉमिक सर्वे के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में विकास की वजह से फसल के क्षेत्र का भी 16.2 प्रतिशत बढऩे का अनुमान है। वहीं, लॉइव स्टाक, वन, मत्स्य और ऐसे दूसरे क्षेत्रों में भी बढ़ोतरी हो सकती है।

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