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ब्लैक और वाइट के बाद अब येलो फंगस? AIIMS डायरेक्टर ने समझाए कलर के मायने

ब्लैक और वाइट फंगस के बीच उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में येलों फंगस का पहला मामला सामने आया है।

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नई दिल्ली। ब्लैक और वाइट फंगस के बीच उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में येलों फंगस ( yellow fungus ) का पहला मामला सामने आया है। फंगस सिरीज में शामिल येलो फंगस की खबर से स्वास्थ्य विभाग और देशवासियों में भय का माहौल है। इस बीच एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने ( AIIMS Director Dr. Randeep Guleria ) फंगस को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि फंगल इंफेक्शन को उस रंग के नाम से न पुकारे तो ठीक है। क्योंकि इससे कंफ्यूजन पैदा होता है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि म्यूकर संक्रमण कम्युनिकेबल डिजीज नहीं है। 95 प्रतिशत तक यह फंगल उन लोगों में देखा गया है, जो या तो डायबिटीक हैं या फिर भारी मात्रा में स्टेरॉयड ले रहे हैं। इसके अलावा अन्य लोगों में यह न के बराबर ही है। डॉ. गुलेरिया ने इस बीमारी के लक्षण और बचाव भी बताए हैं।

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क्या हैं येलो फंगस के लक्षण?

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि येलो फंगस में सुस्ती, भूख न लगना, वजन कम होना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं, जबकि इसके खतरनाक स्तर पर पहुंचने पर मरीज की बॉडी में पस पडऩा, जख्म में भरने में समय लगने जैसी समस्या, कुपोषण, शरीर के अंगों को सही ढंग से काम न करना व धंसी हुई आंखें जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। गाजियाबाद के ईएनटी बीपी त्यागी ने बताया कि येलो फंगस एक खतरनाक संक्रमण है, जो बॉडी के भीतर से शुरू होता है। इसलिए कोई भी लक्षण मिलने पर तुरंत मेडिकल हेल्प ली जाए ताकि इसका शुरुआती दौर में ही पता लगाया जा सके। इलाज की बात करें तो इसमें एंटी फंगल इंजेक्शन अम्फोटेरिसिन बी का इस्तेमाल किया जाता है। डॉ. त्यागी ने कहा कि फंगल संक्रमण से बचने के लिए अपने आसपास साफ सफाई का ज्यादा ध्यान रखा जाना चाहिए।

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गाजियाबाद में येलो फंगस के एक मरीज की पुष्टि

आपको बता दें कि गाजियाबाद में येलो फंगस के एक मरीज की पुष्टि की गई है। ईएनटी विशेषज्ञ बी.पी. त्यागी ने दावा किया है कि उनके अस्पताल में येलो फंगस का एक मरीज है, जिसका इलाज चल रहा है। गाजियाबाद के हर्ष हॉस्पिटल में इस वक्त संजय नगर निवासी 45 वर्षीय एक मरीज एडमिट हैं, जो ब्लैक और व्हाइट फंगस के साथ ही साथ येलो फंगस से भी ग्रस्त है। प्रोफेसर त्यागी ने कहा, "मेरे पास एक मरीज आया, जो शुरूआती जांच के बाद भले ही नॉर्मल लगा, लेकिन दूसरी बार टेस्ट किए जाने के बाद पता चला कि मरीज ब्लैक, व्हाइट के साथ-साथ येलो फंगस भी ग्रस्त है।"


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