
नई दिल्ली। देश के सबसे नामी चिकित्सा संस्थान एम्स के डॉक्टर आजकल काफी परेशान हैं। इनकी परेशानी की वजह मरीजों की तादात या कोई बड़ी बिमारी नहीं बल्कि बंदर और कुत्तों की संख्या में हो रही बेतहाशा वृद्धि है। डॉक्टरों ने केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी को पत्र लिखकर इस समस्या का समाधान ढूढ़ने की गुजारिश की है।
मंत्रीजी मदद करें
डॉक्टरों ने मंगलवार को लिखी मेनका गांधी को चिठ्ठी में हालिया दिनों में बंदरों और कुत्तों की वजह से हुई घटनाओँ का जिक्र किया है। एम्स रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष डॉ. हरजीत सिंह ने ‘पत्रिका’ से बातचीत में कहा कि “पिछले कुछ समय से एम्स परिसर में कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ा है। इनकी वजह से डॉक्टर, मरीज, तीमारदार और अन्य स्टाफ हर कोई परेशान है।”
मेनकाजी बताएं हम क्या करें
डॉ हरजीत ने पत्र में लिखा है कि पिछले चार महीनों में लगभग 100 लोग इन जानवरों के शिकार हो चुके हैं। यह सही है कि एम्स और उसके आस पास का वातावरण इन जानवरों के रहने के लिहाज से काफी मुफीद है। लेकिन यह भी सच है कि इन जानवरों से बचने के लिए एम्स को उठाकर कहीं दूसरे स्थान पर नहीं रखा जा सकता। मंत्रीजी आप ही कोई विकल्प हमें सुझाएं?
पिछले साल तीन डाक्टर हुए बंदरों के शिकार
जुलाई 2017 में एम्स परिसर में तीन डॉक्टरों को बंदर ने काटा था। तीनों डाक्टर एम्स परिसर के अंदर बने कॉफी हाउस में कॉफी पीने आए थे। एक महिला नर्सिंग स्टूडेंट भी बंदर का शिकार हो गई थी। तत्कालीन आरडीए के अध्यक्ष डॉक्टर विजय कुमार ने बंदरों से परेशान होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक से गुहार लगाई। लेकिन डॉक्टरों के मुताबिक नतीजा शून्य रहा।
एम्स परिसर में अकेले चलना मुश्किल
डॉक्टरों के मुताबिक एम्स परिसर में कब आवारा कुत्ते या बंदर आपके ऊपर हमला कर दें, कहना मुश्किल है। इस तरह के हमले तब और ज्यादा होते हैं जब आप अकेले घूम रहे होते हैं। कभी–कभी बंदर काफी हिंसक व्यवहार करते हैं। वे जिसको देखते हैं उसी पर हमला कर देते हैं।
ओपीडी और वार्ड भी नहीं सुरक्षित
डॉक्टरों ने बताया कि एम्स परिसर के अंदर बंदर ओपीडी रूम, वॉर्ड और इमरजेंसी तक पहुंच जाते हैं। कोई भी सामान वे उठाकर भाग जाते हैं। पिछले दिनों एक बंदर डॉक्टर का स्टेथोस्कोप लेकर भाग गया था।
प्रशासन ठोस कदम नहीं उठा रहा
रेजीडेंट डॉक्टरों ने इस बात का आरोप लगाया है कि इस समस्या को लेकर एम्स प्रशासन संजीदा नहीं है। प्रशासन से कई बार इस बारे में शिकायत की गई लेकिन एम्स प्रशासन वन्य जीव कानूनों का हवाला देकर मामले को टाल देता है।
काफी घातक है बंदर या कुत्ते का काटना
डॉक्टरों का मानना है कि बंदर या कुत्ता काट ले या चोट पहुंचा दे तो इसे बिल्कुल नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि किसी भी जानवर के काटने के बाद अगर चमड़ी निकल गयी है और खून निकल रहा है तो चोट को काफी गंभीर माना जाता है। बंदर या कुत्ते का सलाइवा अगर आपके खून से मिल जाए तो सबसे खतरनाक वायरस रेबीज आपके शरीर में पहुंच सकता है जिसका इसका इलाज होना बेहद मुश्किल हो जाता है। बंदर या कुत्ते के काटने के बाद अगर चोट को नजरअंदाज किया तो उस अंग के हिस्से में इंफेक्शन हो सकता है या उस हिस्से को काटकर हटाना भी पड़ सकता है।
Published on:
25 Apr 2018 02:25 pm
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