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26/11 हमला: जब कसाब ने ब्रिगेडियर से कहा था, ‘छोड़ दो तो घर जाकर मां-बाप की सेवा करूंगा’

कसाब को साल 2012 में पुणे के यरवदा जेल में फांसी दे दी गई है।

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ajmal kasab statement for his family to brigadier gopal singh sisodia

26/11 हमला: ...जब कसाब ने ब्रिगेडियर से कहा था, 'छोड़ दो तो घर जाकर मां-बाप की सेवा करूंगा'

नई दिल्ली। आज से दस साल पहले मुंबई में नवंबर महीने की 26 तारीख को ऐसा हमला हुआ था, जिससे न सिर्फ मुंबई बल्कि देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इस हमले में करीब 166 लोगों की जान गई थी। हमले के बाद शहर भर में दहशत का माहौल था। इस हमले के दौरान जिंदा पकड़े गए एकमात्र पाकिस्तानी आतंकी अजमल से इस संबंध में कई बार पूछताछ की गई। बाद में अंतत: उसे वर्ष 2012 में फांसी दे दी गई।

'मैं जाकर अपने मां-बाप की सेवा करूंगा'

इस हमले के संबंध में पूछताछ के कई सेशन में शामिल रहे ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) गोविंद सिंह सिसोदिया ने मीडिया से एक रोचक वाकया साझा किया। उन्होंने याद करते हुए कहा, "एकबार जब कसाब से पूछताछ के दौरान ये सवाल किया गया कि अगर उसे छोड़कर घर जाने की इजाजत दी जाती है, तो वो क्या कदम उठाएगा? इसके जवाब में कसाब ने कहा कि 'मैं जाके अपने मां-प्यो दी सेवा करंगा' (यानी मैं जाकर अपने मां-बाप की सेवा करूंगा)।"

कसाब से लगभग 45 मिनट बात की थी

रिटायरमेंट के बाद देहरादून में रह रहे सिसोदिया का कहना है कि जिस वक्त उन्होंने कसाब से लगभग 45 मिनट बात की थी। उनका कहना है कि उस वक्त वो एनएसजी के डीआईजी (ट्रेनिंग व ऑपरेशन) के पद पर थे। मुंबई हमले के दस साल पूरे होने पर उस समय की यादें साझा करते हुए उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान उन्होंने कसाब को एक कंफर्ट जोन में ले गए थे, ताकि वो खुलकर अधिक से अधिक जानकारी दे सके। बकौैल सिसोदिया जब कसाब के सामने मां-बाप का जिक्र किया गया उस वक्त उसकी भावुकता खुलकर बाहर आई।

2012 में दी गई थी कसाब को फांसी

सिसोदिया ने मीडिया को बताया कि पूछताछ रूम में जाने से पहले उनके जहन में कुछ खास सवाल थे। हालांकि उनको पूरा यकीन था, एक आत्मघाती ऑपरेशन पर आए व्यक्ति से बातें निकलवाना आसान नहीं था। सिसोदिया बताते हैं कि उन्होंने कसाब से जांच से ज्यादा ऑपरेशन से संबंधित सवाल पूछे थे। उसने कहां-किससे और कैसे ट्रेनिंग ली थी? उसका मेन टार्गेट क्या था? ये उनके मुख्य सवालों में से एक थे। ब्रिगेडियर ने कहा पहले उन्होंने हिंदी और उर्दू में सवाल शुरू किए हालांकि बाद में बातचीत कसाब के मातृभाषा पंजाबी में तब्दील हो गई ताकि वो आराम से जवाब दे सके। गौरतलब है कि कसाब को साल 2012 में पुणे के यरवदा जेल में फांसी दे दी गई है।