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Kashmir में शांति बहाली में सफल हो रही सेना, इस साल कम हुईं पत्थरबाजी की घटनाएं

Highlights सुरक्षाबलों के एक अधिकारी के अनुसार इस साल करीब 131 जवान घायल हुए हैं। अधिकारी के मुताबिक आम लोगों पर सुरक्षात्मक तरीके से कार्रवाई हो रही है।

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army in Kashmir

कश्मीर में शांति बहली के लिए सेना तैनात।

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों का रुख रक्षात्मक रहा है। इस कारण कानून—व्यवस्था को बहाल करने में जवानों के घायल होने की घटनाएं तीन गुना बढ़ी है। जम्मू—कश्मीर से अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद पत्थरबाजी या अन्य तरह की घटनाओं में 76 लोग घायल हुए। वहीं करीब 200 जवान जख्मी हुए हैं।

सुरक्षाबलों के एक अधिकारी के अनुसार इस साल करीब 131 जवान घायल हुए हैं। वहीं आतंकियों के प्रति सुरक्षाबल आक्रामक रवैया अपनाए हुए हैं। आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में सुरक्षाबलों के हताहत होने की घटनाओं में कमी आई है। वहीं इस साल कोई भी आम नागरिक नहीं मारा गया।

अधिकारी के मुताबिक आम लोगों पर सुरक्षात्मक तरीके से की गई कार्रवाई के कारण सुरक्षाबल के जवान ज्यादा घायल हो रहे हैं। सुरक्षाबलों की कोशिश हो रही है कि किसी भी घटना को नियंत्रित करने के लिए गोली न चलानी पड़े। सेना के अधिकारी का कहना है कि आम लोेगों की रक्षा के लिए हमने काफी पत्थर खाए हैं।

हिंसा की घटनाएं कम

अधिकारी के अनुसार हिंसा की घटनाए की तुलना अगर वुरहान वानी की मौत के बाद से करें तो अब ये कम हो गई हैं। वानी की मौत के बाद से अब तक 2600 घटनाएं हो चुकी हैं। इस दौरान करीब तीन हजार सुरक्षाबल जख्मी हुए। जम्मू—कश्मीर से धारा 370 समाप्त होने के बाद घटकर 1100 तक पहुंच गई है। इनमें हिंसा की घटनाएं 196 के आसपास हुई। सेना की कार्रवाई में अब तक 35 से ज्यादा आतंकियों के कमांडर मारे गए। वहीं 155 के आसपास आतंकियों को मार गिराया गया।

पाक की हरकत से हमले

बीते कुछ दिनों में अचानक आतंकी हमलों में काफी तेजी देखने को मिल रही है। इसमें पाकिस्तान का हाथ माना जा रहा है। इन मामलों से निपटने के लिए सुरक्षाबल आम नागरिक की सुरक्षा को लेकर खास ध्यान रख रहे हैं। उनकी कोशिश है कि इस तरह के ऑपरेशन साफ सुथरे हों और आम लोग इससे प्रभावित न हों। इस तरह से वे आतंकियों की हर कोशिश को नाकाम कर रहे हैं। बीते साल सुरक्षाबल के करीब 76 जवानों की मौत हो गई। ये मौतें बीते साल सात-आठ महीनों में हुई है। वहीं इस साल 40 के करीब है। इस साल सुरक्षाबलों का अभियान अधिक कारगर है।


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