1976 से 1997 तक दो रुपये के नोट के पिछले हिस्से पर आर्यभट्ट की तस्वीर प्रकाशित होती थी।
Indian 2 rupee note
नई दिल्ली। 19 अप्रैल, 1975 को भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट को लॉन्च कर अंतरिक्ष युग में दाखिल हुआ था। इस उपग्रह का नाम इंदिरा गांधी ने महान खगोलविद और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा था। खगोल और अंतरिक्ष विज्ञान. एक्स-रे और सौर भौतिकी की जानकारी हासिल करने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने आर्यभट्ट बनाया।
1975 में आर्यभट्ट की इस ऐतिहासिक सफलता को इतिहास के स्वर्णकाल में शामिल करने के लिए रिजर्व बैंक
ऑफ इंडिया ने 1976 में दो रुपये के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह की तस्वीर छापी। 1997 तक दो रुपये के नोट के पिछले हिस्से पर आर्यभट्ट की तस्वीर प्रकाशित होती थी।
जारी हुआ डाक टिकट
भारत के इस कामयाबी के जश्न सोवियत संघ रुस भी शामिल हुआ और दोनों ने मिलकर एक डाक स्मृति टिकट लान्च किया।
रुस ने दिया था भारत का साथ
आर्यभट्ट को तैयार तो बेंगलुरु को पीन्या में किया गया था लेकिन इसका प्रक्षेपण सोवियत यूनियन की सहायता से किया गया था। 1972 में यूआर राव ने सोवियत संघ रुस के साथ एक समझौता किया, जिसके अनुसार रुस, भारतीय बंदरगाहों का उपयोग जहाजों के ट्रैक करने के लिए कर सकता था।
17 साल अंतरिक्ष में रहा आर्यभट्ट
अपने लॉन्चिंग के 17 साल बाद यानि 11 फरवरी 1992 में आर्यभट्ट अंतरिक्ष से लौटकर पृथ्वी पर वापस आ गया। इस सैटेलाइट को बनाने से लेकर भेजने तक में तीन करोड़ के खर्च का अनुमान था, लेकिन आखिरी समय में यह बजट बढ़ गया था।