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ऑटो चालक की बेटी बनी मिस इंडिया रनर-अप, संघर्ष से पायी कामयाबी

मान्या सिंह...- खून, पसीना व आंसू बहाकर मैंने सपने देखने की हिम्मत जुटाई-- बचपन में लगता था, शायद किस्मत साथ नहीं देगी।

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ऑटो चालक की बेटी बनी मिस इंडिया रनर-अप, संघर्ष से पायी कामयाबी

ऑटो चालक की बेटी बनी मिस इंडिया रनर-अप, संघर्ष से पायी कामयाबी

नई दिल्ली. कड़ी मेहनत व पक्के इरादे से अभावों को पार कर मंजिल हासिल की जा सकती है। एक ऑटो चालक की बेटी मान्या सिंह (23) इसकी मिसाल हैं। वह बुधवार रात मुम्बई में मिस इंडिया रनर-अप चुनी गईं। कई साल के कड़े संघर्ष के बाद कामयाबी ने उनके कदम चूमे। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर की मान्या के जीवन का संघर्ष किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। उनके पिता ओमप्रकाश सिंह मुंबई में ऑटो चालक हंै। मां मनोरमा सिलाई करती हैं। मान्या बेहद मुश्किल हालात में पली-बढ़ीं। स्कूल के दिनों में किताबें तक खरीदने में सक्षम नहीं थीं। फीस भरने के लिए उनकी मां को गहने गिरवी रखने पड़े।

यों जुटाई सपने देखने की हिम्मत -
अ पनी इंस्टाग्राम पोस्ट में मान्या ने लिखा, 'खून, पसीना व आंसू बहाकर मैंने सपने देखने की हिम्मत जुटाई। मेरे सभी कपड़े दूसरों के दिए हुए होते थे। बचपन में लगता था, शायद किस्मत साथ नहीं देगी।

अदृश्य दीवारें गिरा दीं -
मिस वल्र्ड 2017 मानुषी छिल्लर ने मान्या की पोस्ट पर कमेंट किया कि उन्होंने अदृश्य दीवारों को गिरा उपलब्धि पाई है।

ठान लो तो सब संभव -
आज मैं यहां हूं, दुनिया को दिखाने के लिए कि इंसान ठान ले तो सब कुछ कर सकता है। खुद पर विश्वास हो।
-मान्या सिंह

रेस्टोरेंट में बर्तन तक धोने पड़े: मान्या ने बताया, तंगी के दिनों में उन्हें कई रातें बगैर भोजन काटनी पड़ीं। दिन में वह पढ़ाई करतीं, शाम को रेस्टोरेंट में बर्तन धोती थीं, रात को कॉल सेंटर में काम करती थीं।