
नई दिल्ली। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद रामजन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुना ही दिया। सीजेआई रंजन गोगोई ने तय समय में सुनवाई पूरी दुनिया के सामने नजीर पेश की है। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है।
जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है। यानी सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है।
इसलिए हिंदुओं के पक्ष में आया फैसला
सीजेआई गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 40 दिन की सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला पढ़ते हुए सीजेआई गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया।
साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष ने जिरह के दौरान ऐतिहासिक साक्ष्य पेश किए। इसके साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि आस्था के आधार पर जमीन के मालिकाना हक पर फैसला नहीं किया जाएगा।
सीजेआई रंजन गोगोई जब कोर्ट में फैसला पढ़ने के लिए गए तो उन्होंने सबसे पहले शांति की अपील की। इसके बाद पांचों जजों ने फैसले पर साइन किए।
सीजीआई ने कहा कि 1991 के कानून में उपासना स्थल पर पूजा का जिक्र है। इस मामले में किसी ने प्रॉपर्टी राइट क्लेम नहीं किया। उन्होंने कहा कि मंदिर कब बनी और किसने बनवाई, यह स्पष्ट नहीं है। साथ ही निर्मोही अखाड़ा के सूट को भी खारिज कर दिया गया।
फैसला पढ़ने के दौरान सीजेआई गोगोई ने कहा कि कोर्ट के लिए धर्मशास्त्र में जाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालत धार्मिक आस्थाओं पर नहीं बल्कि कानून के हिसाब से फैसला लेती है। सीजेआई ने कहा कि कानून की नजर में सबकी आस्थाएं एक समान है. उन्होंने कहा कि समानता संविधान का मूल है।
Published on:
09 Nov 2019 11:48 am
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