हालांकि, राज्य सरकारें भी इस योजना को अपने-अपने राज्यों में तय मानकों के आधार पर लागू करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसी कड़ी में अब तेलंगाना सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए आयुष्मान भारत योजना को तत्काल प्रभाव से लागू करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना में केंद्र की आयुष्मान भारत (प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना) योजना लागू करने को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
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तेलंगाना के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में इस योजना को लागू करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे दिया है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत नए नियमों और विनियमों के अनुसार राज्य में सभी सरकारी चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने का निर्देश दिया।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव एसएएम रिज़वी ने आरोग्यश्री हेल्थकेयर ट्रस्ट के सीईओ को आवश्यक आदेश जारी किए, ताकि राज्य भर के पैनलबद्ध अस्पतालों में आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई-आरोग्यश्री की अभिसरण योजना के अनुसार रोगियों का उपचार तत्काल प्रभाव से सुनिश्चित किया जा सके।
सरकार के खिलाफ धरना देंगे BJP विधायक टी. राजा सिंह
बता दें कि भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने मंगलवार को पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से आरोग्यश्री योजना में कोविड उपचार को शामिल करने और राज्य में केंद्र सरकार के आयुष्मान भारत योजना को पैनल में शामिल करने की मांग के साथ पार्टी द्वारा आयोजित विरोध कार्यक्रम बनाने का आह्वान किया।
मीडिया से बात करते हुए टी. राजा ने आरोप लगाया कि राज्य में आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं करने और आरोग्यश्री योजना में कोविद के उपचार को शामिल नहीं करने के कारण राज्य के लोग कर्ज के जाल में फंस रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य में हजारों लोग कोविड वायरस का शिकार होकर मर रहे हैं। प्रदेश के लाखों लोग निजी अस्पतालों की फीस नहीं भर पा रहे हैं।
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इस बीच एक अन्य भाजपा नेता विजयशांति ने सीएम केसीआर पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सीएम ने भगवान की दया पर राज्य छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य के निजी अस्पतालों में कोविड के इलाज पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। मुख्यमंत्री अपने फार्म हाउस में रहने के कारण कोविड मरीजों का रोना नहीं सुन पा रहे हैं।
विजयशांति ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने आयुष्मान भारत योजना लागू की होती तो केंद्र सरकार ने कोविड के इलाज के लिए 5 लाख रुपये का भुगतान किया होता। उन्होंने कहा कि केंद्रीय योजना में शामिल नहीं होने से राज्य को 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।