
blue whale challenge suicide
नई दिल्ली। भले ही सरकार ने तमाम किशोरों को आत्महत्या करने के लिए उकसाने वाले ऑनलाइन गेम ब्लू व्हेल चैलेंज पर प्रतिबंध लगा दिया हो लेकिन अभी भी यह गेम तमाम वेबसाइटों पर दूसरे नाम से मौजूद है। सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद अब यह गेम विभिन्न वेबसाइट पर 'अ साइलेंट हाउस', 'अ सागर ऑफ व्हेल' और 'वेक मी अप एट 4:20 एम' के रूप में मौजूद है।
सख्त कदम उठाने का दिया सुझाव
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और बाल मनोवैज्ञानिक ने गूगल, फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम, माइक्रोसॉफ्ट और याहू जैसी वेबसाइटों पर सख्त कदम उठाने, उन पर निगरानी रखने रखने का सुझाव दिया है क्योंकि उनका मानना है कि इसके लिए यही वेबसाइट सबसे ज्यादा जवाबदेह और जिम्मेदार हैं।
कानून मंत्री के दखल के बाद लगा था प्रतिबंध
सरकार ने 11 अगस्त को बड़ी इंटरनेट कंपनियों को पत्र के जरिए खतरनाक आॅनलाइन गेम के लिंक को तुरंत हटाने का निर्देश दिया था। सूत्रों के मुताबिक कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के हस्तक्षेप के बाद सरकार की तरफ से यह कदम उठाया गया था।
आत्महत्या के लिए उकसाता है
ब्लू व्हेल गेम बच्चों को खुद को नुकसान पहुंचाने और आत्महत्या के लिए उकसाता है। इस गेम को खेलने वाले खिलाड़ी को 50 दिन की अवधि में पूरा करना होता है। इस दौरान उसके कुछ टॉस्क पूरा करने के लिए दिए जाते हैं। इसमें अंतिम टॉस्क स्वयं को मारना है। सभी चुनौती को खत्म करने के बाद भी खिलाड़ी को फ़ोटो साझा करने के लिए कहा जाता है
रोकने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ साहिल बागला के अनुसार इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इस तरह के गेम्स को खोजकर एक सूची बनानी चाहिए और उसे ब्लॉक कर देना चाहिए। साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में गूगल और फेसबुक जैसी लिंक प्रदान करने वाली वेबसाइटों को रोकने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा राजनीतिक इच्छा की जरूरत है। गौरतलब है कि इस गेम के चलते भारत में भी कुछ जाने जा चुकी हैं। वहीं मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे खतरनाक खेलों से निबटने के लिए अभिभावकों को अपने बच्चों पर नजर बनाए रखना होगा।
Published on:
16 Aug 2017 01:59 pm
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