हिरासत में लिए गए लोगों के खिलाफ पुख्ता सबूत: एडीजी
परमबीर सिंह ने कहा कि 23 अप्रैल को माओवादियों की चिट्ठी मिलने के बाद से ही पुणे पुलिस हरकत में आ तहकीकात में हमें पता तला है माओवादी संगठन एक बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे। गिरफ्तार किए गए लोग उन माओवादियों की मदद भी कर रहे थे। एक आतंकी संगठन भी इनके साथ जुड़ा हुआ है। जब हमें इस बात पूरा यकीन हुआ उसके बाद ही हमने देश के विभिन्न राज्यों में छापा मारने और हिरासत में लेने की कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि 90 से 180 दिन में जांच पूरी हो जाएगी। एडीजी ने कहा कि यल्गार परिषद की बैठक में शामिल चार हजार लोगों के खिलाफ भी पुणे पुलिस तेजी से जांच कर रही है।
8 जनवरी को दर्ज हुआ था केस
महाराष्ट्र पुलिस एडीजी ने कहा कि 31 दिसंबर 2017 को दिए गए भड़काऊ भाषण के संबंध में 8 जनवरी को केस दर्ज किया गया था भड़काऊ भाषण को लेकर मंच पर बोलने वाले सभी लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। सभा में शामिल लगभग सभी आरोपी कबीर कला मंच से जुड़े हुए हैं।
मंगलवार को हुई 5 वामपंथी विचारों की गिरफ्तारी
बता दें कि पुलिस ने महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा दंगों के संबंध में मंगलवार को देश के अलग-अलग शहरों में छापे मारे और पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया। इनमें वामपंथी विचारक वरवर राव भी शामिल हैं। मुंबई, पुणे, गोवा, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 10 जगहों पर छापे मारे गए। पुणे के संयुक्त पुलिस आयुक्त शिवाजीराव बोडखे ने कहा कि हमने वरवर राव, वेर्नोन गोंजाल्वेज, अरुण परेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नौलखा को गिरफ्तार किया गया। जिसके बाद देश के कई हिस्सों की इस कार्रवाई का विरोध भी हो रहा है।