
राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले की जांच का जिम्मा अपने हाथ में ले सकती है।
नई दिल्ली। पांच दिन पहले पुलवामा के अयानगुंडा में सुरक्षा बलों ने पुलवामा—2 ( Pulwama-2 ) आतंकी साजिश को नाकाम कर दिया था। अब इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। इस मामले की जांच में जैश ए मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर ( Jaish Chief Masood Azhar ) का हाथ सामने आया है। दरअसल, इस साजिश को अंजाम देने में शामिल तथाकथित मोहम्मद इस्माइल अल्वी उर्फ लंबू मसूद अजहर का रिश्तेदार है।
पुलवामा-2 साजिश की जांच में शामिल 2 अधिकारियों ने बताया है कि इस्माइल जैश-ए-मोहम्मद प्रुमुख मौलाना मसूद अजहर का करीबी रिश्तेदार है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जांच अधिकारियों ने कहा है कि जल्द ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( NIA ) इस मामले की जांच का जिम्मा अपने हाथ में ले सकती है।
जानकारी के मुताबिक पिछले साल पुलवामा-1 हमलों को लेकर संघीय एजेंसी मोहम्मद इस्माइल अल्वी उर्फ लंबू (Mohammad Ismail Urf Lambu ) को पकड़ने में लगी हुई है। लेकिन उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
2018 के अंत में आया था भारत
पुलवामा-2 साजिश में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि लंबू को इस्माइल भाई के रूप में जाना जाता है। उसे मोनिकर फौजी बाबा के नाम से भी बुलाया जाता है। वह 2018 के अंत में भारत आया था। उसने पुलवामा-1 ( Pulwama-1 ) हमले के साजिशकर्ता मुदस्सिर खान, खालिद और मोहम्मद उमर फारूक को घाटी में पत्थर की खदानों से जिलेटिन की छड़ें और स्थानीय दुकानों से अमोनियम नाइट्रेट सहित विस्फोटक सामग्री मुहैया कराने में मदद की थी।
मुफ्ती कारी की हत्या के बाद संभाली थी जैश की बागडोर
मसूद अजहर का करीबी और पुलवामा-2 का साजिशकर्ता भारतीय सेना ( Indian Army ) द्वारा कारी मुफ्ती यासिर के मारे जाने के बाद जनवरी में जैश की बागडोर संभाली थी। जांच अधिकारी के मुताबिक इस्माइल एक आईईडी एक्सपर्ट ( IED Expert ) है।
14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा-1 हमले के लिए उसने अन्य हमलावरों को मारुति ईको वैन में बम फिट करने में मदद की थी। इस्माइल का डिप्टी समीर अहमद डार भी पिछले साल के आत्मघाती बम विस्फोट में शामिल था।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हमें जानकारी मिली है कि इस्माइल लंबू ने शिविरों या काफिले में से एक में इसी तरह की कार धमाके की योजना बनाई थी। इस बम को सैंट्रो कार में रखा गया था लेकिन 28 मई की रात को समय पर इसका पता चल गया।
फिलहाल फोरेंसिक विशेषज्ञों ने आईईडी के बारे में संकेत दिया है कि यह बम आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट और नाइट्रोग्लिसरीन से बना था। इसे बनाने में उन्हीं चीजों का इस्तेमाल किया गया था, जिसका 2019 पुलवामा बम धमाके में किया गया था। उक्त अधिकारी ने कहा कि दोनों घटनाओं में समानताएं जैश-ए-मोहम्मद के संलिप्तता को दर्शाती है।
सक्रिय आतंकी संगठन बड़े हमले को देना चाहते हैं अंजाम
ये भी हो सकता है कि हिजबुल मुजाहिदीन ( Hizbul Mujahiddin ) और लश्कर-ए-तैयबा भी पिछले हफ्ते धमाके के प्रयास में शामिल हो। ऐसा इसलिए कि सभी संगठन पाकिस्तान ( Pakistan ) की सेना के दबाव में एक बड़े आतंकी हमले का संचालन कर रहे हैं।
बता दें कि 14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे और इस हमले को अंजाम देने में मसूद अहजर की मुख्य भूमिका थी।
Updated on:
02 Jun 2020 02:54 pm
Published on:
02 Jun 2020 11:52 am
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