
So angry with the assault that the woman hanged
पटना। भारत में जब अदालत किसी को मौत की सजा सुनाती है, तो उसे फांसी पर लटकाया जाता है। फांसी देने के लिए एक जल्लाद तो दोषी को फंदे पर लटकाता है, लेकिन इससे पहले फांसी का फंदा तैयार किया जाता है। और फांसी का फंदा तैयार करना आसान काम नहीं है। देश में फांसी के फंदे बनाने के लिए बिहार की बक्सर जेल प्रसिद्ध है। इस सप्ताह के अंत तक इसे फांसी के 10 फंदे तैयार रखने का निर्देश दिया गया है।
बक्सर जेल के अधीक्षक विजय कुमार अरोड़ा ने सोमवार को बताया, "हमें पिछले सप्ताह जेल निदेशालय से फांसी के 10 फंदे तैयार करने के निर्देश मिले थे। हमें नहीं पता कि इन फंदों का इस्तेमाल कहां होगा। अभी तक चार से पांच फंदे बनकर तैयार हो गए हैं।"
अफजल गुरु के लिए फंदे
बक्सर जेल फांसी के फंदे बनाने में दक्षता के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए रस्सी के जिस फंदे का इस्तेमाल किया गया था, वह इसी जेल में तैयार किया गया था।
उन्होंने कहा कि संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए यहां के बने फंदे का इस्तेमाल किया गया था या नहीं, यह उन्हें नहीं पता है, लेकिन उन्हें सिर्फ यह याद है कि उस समय भी यहां से रस्सी के फंदे बनवाकर मंगाए गए थे।
निगरानी में तैयार होते हैं फंदे
बक्सर जेल में फांसी के फंदे तैयार किए जाने का इतिहास काफी पुराना है। फंदे तैयार करने के लिए खास किस्म के धागों का इस्तेमाल किया जाता है और इसे बनाने में जिन कैदियों को लगाया जाता है, उसकी निगरानी दक्ष लोगों द्वारा की जाती है। उन्हीं की निगरानी में फंदे तैयार किए जाते हैं और फिर जहां जरूरत होती है, वहां भेज दिया जाता है।
बढ़ गई हैं धागों की कीमतें
जेल अधीक्षक अरोड़ा ने बताया कि फंदे बनाने के लिए पिछली बार जिस रस्सी का इस्तेमाल किया था, उसे 1725 रुपये की दर पर बेचा गया था। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि महंगाई और इसमें इस्तेमाल होने वाले धागों की कीमतें बढ़ीं हैं, इसलिए इस बार फंदे वाली रस्सियों की कीमतें थोड़ी बढ़ सकती हैं।
कैसे बनता है फंदा
उन्होंने बताया, "बक्सर जेल में लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते हैं और एक फांसी का फंदा 7200 कच्चे धागों से बनता है। एक लट में करीब 154 धागे होते हैं, जिन्हें मिलाकर 7200 धागों का कर लिया जाता है। एक रस्सी बनाने में तीन से चार दिन लगते हैं, और यह काम पांच-छह कैदी करते हैं। इसे तैयार करने में थोड़ा मशीन का भी उपयोग किया जाता है।"
इसकी विशेषता के संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह रस्सी आम रस्सियों से ज्यादा मुलायम रहती है तथा इसकी क्षमता 150 किलोग्राम वजन उठाने की रहती है।
निर्भया के दोषियों को दी जा सकती है फांसी
बहरहाल, कुछ लोग कयास लगा रहे हैं कि दिल्ली में सात साल पहले हुए निर्भया कांड के दोषियों को इस महीने के अंत में फांसी दी जा सकती है, जिसमें यहां बन रही रस्सियों का उपयोग हो सकता है।
Updated on:
10 Dec 2019 07:25 am
Published on:
09 Dec 2019 11:55 pm
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