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Black Fungus का नया खतरा, आंख और दिमाग के बाद अब जबड़े पर भी कर रहा हमला

आंख और दिमाग के बाद अब जबड़े में भी हो रहा ब्लैक फंगस, नए खतरे ने बढ़ाई चिंता, एम्स की रिसर्च में दावा कोरोना से उबरने वाले मरीज ही ब्लैक फंगस की चपेट में ज्यादा आए

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Dheeraj Sharma

Jul 06, 2021

Black Fungus infection in Jaw after Eye and brain

Black Fungus infection in Jaw after Eye and brain

नई दिल्ली। देश भले ही कोरोना ( Coronavirus In India ) की दूसरी लहर से उबर रहा हो, लेकिन परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दूसरी लहर के दौरान फैला ब्लैक फंगस ( Black Fungus ) अब तक गया नहीं है। खास बात यह है कि देश के कई राज्यों में अब ब्लैक फंगस के ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें वे आंख और दिमाग के अलावा जबड़े पर भी हो रहा है।

दिल्ली-एनसीआर सहित देश के दूसरे कुछ हिस्सों में बीते कुछ दिनों में ब्लैक फंगस के मामले में कुछ कमी आई है लेकिन अब भी म्यूकोरमाइकोसिस ( Mucormycosis ) के नए रूप का खतरा बरकरार है।

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कोरोना से उबरने वाले भी ब्लैक फंगस की चपेट में
एम्स के रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना से उबरे मरीज ही ब्लैक फंगस के चपेट में ज्यादा आए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस का इलाज लंबा चलता है।

इसकी दवाई का डोज देने में ही मरीज को तकरीबन 20 दिन लग जाते हैं। यही वजह है कि ब्लैक फंगस के मरीज ज्यादा दिन तक अस्पताल में रहते हैं।

अब तक 42 हजार से ज्यादा मामले
देश में अब तक तकरीबन 42, 000 ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से ज्यादातर मरीजों के दिमाग और नासिका तंत्र में संक्रमण हुआ है।

इन राज्यों में ब्लैक फंगस का नया खतरा
बीते कुछ दिनों से ब्लैक फंगस का नया खतरा यानी आंख और दिमाग के अलावा जबड़ों में इसके फैलने के मामले सामने आ रहे हैं। इनमें यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य प्रमुख रूप से शामिल हैं। यहां लोगों के जबड़ों और शरीर के दूसरे अंगों में भी ब्लैक फंगस मिलने लगे हैं।

केंद्र सरकार के डेटा के मुताबिक, पिछले हफ्ते तक देश में ब्लैक फंगस के 40, 845 मामले थे। इनमें 31, 344 मामले दिमाग या फिर नासिका तंत्र में इन्फेक्शन से जुड़े हुए थे।

ब्लैक फंगस के मामले में सबसे ज्यादा बुरा हाल बिहार का है। यहां पर सिर्फ पटना एम्स और आईजीआईएमस में ही ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज हो रहा है। हालांकि अन्य राज्यों में भी ब्लैक फंगस के इलाज को लेकर ज्यादा अस्पताल नहीं है।

वहीं राजधानी दिल्ली की बात करें तो दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में ब्लैक फंगस के करीब 100 मरीज भर्ती हैं, लेकिन बीते दो सप्ताह में यहां करीब 15 से 20 मरीजों को छुट्टी मिल चुकी है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ( NMC ) बोर्ड के अध्यक्ष और ईएनटी डॉक्टर अचल गुलाटी के मुताबिक बीते कुछ दिनों से लोगों के जबड़ों और शरीर के दूसरे अंगों में भी फंगस मिलने के मामले सामने आए हैं। गाजियाबद में जबड़े में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ी है।

निकालने पड़ सकते हैं जबड़े
डॉ. गुलाटी की माने तो जबड़े में ब्लैक फंगस के फैलने के बाद हालात इतने बिगड़ जाते हैं कि कुछ मामलों में तो मरीज को ठीक करने के लिए जबड़े तक निकालने तक पड़े हैं। ब्लैक फंगस का यह नया रूप काफी गंभीर है। फंगस के कारण दांत, जबड़ों की हड्डी गलने लगती है। इसलिए इसे निकालना जरूरी हो जाता है।

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इसलिए जबड़े को भी जकड़ रहा फंगस
दरअसल ब्लैक फंगस पहले नाक में होता है और फिर नाक से सायनेसज में फिर साइनेज से आंख और दिमाग में ब्लैक फंगस फैल जाता है। आंख, दिमाग और जबड़ा एक दूसरे से जुड़े होते हैं, इसलिए ब्लैक फंगस अब जबड़े को भी जकड़ रहा है।

देश में अब तक ब्लैक फंगस की वजह से करीब 3500 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक ब्लैक फंगस की चपेट में आने वाले 32 फईसदी मरीजों की उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच थी। यानी युवाओं में इसका खतरा ज्यादा था।


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