मामला उस वक्त शुरू हुआ जब यूपी के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने 29 नवंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों को 'समलैंगिक' बताया था। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी प्रतिक्रिया में ही तिवारी ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ 'अपमानजनक' टिप्पणी की और मुस्लिमों के खिलाफ प्रचार पुस्तिकाएं बांटीं। कुछ दिन तक उनका बयान सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हुआ, जिसके बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं का ध्यान इस ओर गया। बाद में तिवारी का बयान उर्दू मीडिया में भी छपा। बयान पर पहली प्रतिक्रिया स्वरुप 2 दिसंबर को सहारनपुर के देवबंद में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। इसमें दारूल उलूम के स्टूडेंट्स शामिल हुए।