
Bombay High Court ने राज्य सरकार से प्रवासी कामगारों की स्थिति पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( coronavirus ) संकट और लॉकडाउन के बीच रुक रुककर महाराष्ट्र ( Maharashtra ) में रेलवे एवं बस अड्डों पर प्रवासी कामगारों की भीड़ जमा होने की घटना पर बंबई उच्च न्यायालय ( Bombay High Court ) ने खुद संज्ञान लिया है। इस मुद्दे पर बंबई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। साथ ही यह बताने को कहा है कि इस बारे में उसने क्या कदम उठाए हैं।
बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश केके तातेड़ की खंड़पीठ ने सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस की एक याचिका पर सुनवाई की। याची ने कोविड-19 ( Covid-19 ) महामारी के दौरान प्रवासी कामगारों को आ रही परेशानियों पर चिंता जताई। याची ने इस तरह की घटना को सरकार की विफलता और मानवीय गरिमा के प्रतिकूल बताया।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (Center of indian trade unions ) की ओर से दायर के मुताबिक जिन प्रवासी कामगारों ने महाराष्ट्र से अपने गृह राज्य जाने के लिए श्रमिक विशेष ट्रेनों और बसों की सुविधा उठाने संबंधी आवेदन दिया, उन्हें आवेदनों की स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
याची ने अदालत को बताया कि ट्रेन या बस पर सवार होने से पहले उन्हें तंग एवं अस्वच्छ शिविरों में रखा जाता है। उन्हें भोजन तथा अन्य आवश्यक सामान भी नहीं मुहैया करवाया जाता।
इसके जवाब में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह (ADG Anil Singh ) ने बंबई हाईकोर्ट को बताया कि प्रवासी कामगारों से जुड़े मुद्दों संबंधी मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। अदालत ने इस पर कहा कि फिर भी वह चाहती है कि इस बारे में राज्य सरकार दो जून तक एक रिपोर्ट जमा करवाए।
बंबई हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह की भीड़ जमा होने दी जाती है तो यह उस लक्ष्य का विरोधाभासी होगा जिसके साथ लॉकडाउन लगाया गया है।
Updated on:
30 May 2020 06:22 pm
Published on:
30 May 2020 06:20 pm
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