
भारत और चीन के बीच Strategic दृष्टि से महत्वपूर्ण पैंगोंग त्सो पर अभी नहीं बनी बात।
नई दिल्ली। भारत और चीन ( India-China ) के बीच कमांडर स्तर ( Commander Level ) की तीसरे दौर की बातचीत 12 घंटे से ज्यादा देर तक चलीं। दोनों देश एक बार फिर विवादित स्थानों से पीछे हटने को तैयार हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक दोनों पक्ष दो महीने से ज्यादा समय से जारी तनाव को भी सीमा पर कम करने के सहमत हुए हैं।
सैन्य स़ूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों पक्ष गलवान घाटी ( Galwan Valley ) और गोगरा हॉट स्प्रिंग ( Gogra Hot Springs ) से क्रमिक तरीके से सेना को पीछे हटाने के लिए राजी हो गए हैं। इससे पहले भी दोनों देशों के बीच हुई सैन्य वार्ता के दौरान पहले की स्थिति पर लौटने की सहमति बनी थी लेकिन तब चीनी सैनिकों द्वारा समझौते का पालन नहीं करने के चलते तनाव बढ़ गया। 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों में खूनी संघर्ष भी हुआ था।
दूसरी तरफ पैंगोंग त्सो झील ( Pangong Tso Lake ) को लेकर कोई कामयाबी नहीं मिली है। दोनों देशों में इस इलाके को लेकर टकराव है। इस झील पर अभी स्थिति साफ नहीं हुई है। यहां पर चीनी पीएलए सैनिकों ने बड़ी संख्या में बंकर बना लिए हैं और इस इलाके की किलेबंदी सी कर दी है।
चीन के सैनिकों ने फिंगर-4 से 8 तक अपना कब्जा जमाने के बाद यहां सबसे ऊंची चोटी पर भी अपना कब्जा जमाया हुआ है।
आपको बता दें कि सैन्य स्तर पर 12 घंटे चली यह मैराथन मीटिंग 6 जून के बाद दोनों देशों की बीच ऐसी तीसरी मीटिंग थी। इस मीटिंग में भारत की ओर से 14 Corps कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ( 14 Corps Commander Lt Gen Harinder Singh ) नेतृत्व कर रहे थे, जबकि चीन की तरफ से दक्षिण शिनजियांग मिलिटरी डिस्ट्रिक्ट चीफ मेजर जनरल लुई लिन ( Major General Louis Lin of the South Xinjiang Military District Chief ) बातचीत में शामिल हुए।
बातचीत की प्रक्रिया लंबी चलेगी। इस बार भारत चीन के पीछे हटने की हर हरकत पर अतिसावधान रहकर नजर रखेगा। उसे यह देखना होगा कि भारतीय क्षेत्र में घुस आया चीन गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में मौजूद पट्रोलिंग पॉइंट-14, 15 और 17ए को खाली कर रहा है या नहीं। पैंगोंग तसो झील के उत्तरी किनारे पर मौजूद यह चोटी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
Updated on:
02 Jul 2020 01:05 pm
Published on:
02 Jul 2020 01:00 pm
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