20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ब्रिटेन वैक्सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया, रिसर्च टीम ने ऐसे बनाई फाइजर कोरोना वैक्सीन

Highlights. - यूके में कोरोना की रोकथाम करने के लिए तीन वैक्सीन बन गई हैं -यूके सरकार ने फाइजर वैक्सीन को अप्रूव किया -अगले 10 से 12 दिन में इसकी पहली बार 800,000 खुराक ली जाएंगी  

2 min read
Google source verification

image

Ashutosh Pathak

Dec 03, 2020

pfizer.jpg

नई दिल्ली.

इंग्लैण्ड से कोरोना से मुकाबला करने की जंग में जीत के करीब पहुंचने की एक खुशखबरी है। यूके में कोरोना की रोकथाम करने के लिए तीन वैक्सीन बन गई हैं। तीनों वैक्सीन तीसरे चरण में हैं। पहली बायोटेक कंपनी के साथ फाइजर वैक्सीन, दूसरी ऑक्सफोर्ड वैक्सीन और तीसरी वैलेनवा वैक्सीन के नाम शामिल हैं। यूके सरकार ने फाइजर वैक्सीन को अप्रूव कर दिया है।

अहम बात यह है कि इंग्लैण्ड में अगले 10 से 12 दिन में इसकी पहली बार 800,000 खुराक देना शुरू कर दिया जाएगा। इस तरह ब्रिटेन वैक्सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। यह इस भयावह महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में पूरी दुनिया के लिए यह एक महत्वपूर्ण बड़ा कदम है।

ऑक्सफोर्ड रिसर्च टीम की ओर से किए गए वैक्सीन के परीक्षणों से पता चलता है कि यह वैक्सीन 70 प्रतिशत लोगों में कोविड के लक्षण विकसित करने से रोकता है। इसके अध्ययन से यह तथ्य सामने आया है कि खुराक सही होने पर 90 प्रतिशत तक कोरोना रोकथाम में सफलता मिली है। यही नहीं, इसका 20 हजार से अधिक स्वयंसेवकों पर अब भी परीक्षण जारी है। यह दो खुराक में दी जाती है। यह लोगों को देने के लिए सबसे आसान टीकों में से एक हो सकता है। क्योंकि इसे बहुत ठंडे तापमान पर रखने की जरूरत नहीं है। यह चिम्पैंजी के एक सामान्य कोल्ड वायरस के कमजोर संस्करण से बना है, जिसे मनुष्यों में विकसित नहीं होने के लिए बदला गया है।

खास बात यह है कि यह टीका मौजूदा हैल्थकेयर सिस्टम को आसानी से प्रशासित कर सकता है, जिन्हें Óफ्रिज तापमानÓ (2-8 डिग्री सेल्सियस) पर संग्रहीत किया जाता है और मौजूदा लॉजिस्टिक्स का इस्तेमाल कर के वितरित किया जाता है। हालांकि इसके 10 से अधिक देशों में बड़े पैमाने पर विनिर्माण चल रहे हैं, जो समान वैश्विक पहुंच चाहते हैं।

यह है रिसर्च टीम
-जेनर इंस्टीट्यूट और ऑक्सफोर्ड वैक्सीन गु्रप ऑक्सफोर्ड वैक्सीन केंद्र का कोविड-19 वैक्सीन परीक्षण कर रहा है। इस टीम ने 20 जनवरी 2020 को कोविड-19 रोकने के लिए एक वैक्सीन विकसित करने का काम शुरू किया था, उसका नेतृत्व प्रो एंड्रयू पोलार्ड ने किया। टीम में प्रो सारा गिल्बर्ट, प्रो टेरेसा लाम्बे, डॉ सैंडी डगलस, प्रो कैथरीन ग्रीन और प्रो एड्रियन हिल भी शामिल हैं। जबकि केट बिंघम, यूके वैक्सीन समूह से संबंधित हैं।

वैक्सीन ट्रायल्स
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में रिसर्च टीमों की ओर से विकसित कोरोनवायरस वायरस वैक्सीन, 56-69 आयु वर्ग के स्वस्थ वयस्कों और 70 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए दिखाया गया है। आंकड़ों से पता चला है कि गंभीर बीमारी और सबसे गंभीर बीमारी कोविड-19 से होने वाली मौतों में से एक, प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर सकती है।

वैक्सीन के चरण 2 के परीक्षण का 60 स्वस्थ वयस्क स्वयंसेवकों पर मूल्यांकन 5 किया गया है, जिन लोगों को
ऑक्सफोर्ड सीएच ओडी ऑक्स वन एन कोविड वैक्सीन की 2 ंया एक प्लेसबो मेनैक्सी वैक्सीन की खुराकें दी गई, दोनों से किसी भी खुराक से साइड इफेक्ट सामने नहीं आया।

वहीं सीएच ओडी ऑक्स वन एन कोविड-2019 वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण चल रहे हैं, आने वाले हफ्तों में इसकी संभावित प्रभावकारिता रीडिंग संभव है। इधर 131 कोविड -19 मामलों सहित वैक्सीन के चरण 3 के अंतरिम विश्लेषण से संकेत मिला है कि जब इसके डेटा दो खुराक से मिलाते हैं तो ये टीके 70.4 प्रतिशत तक प्रभावी रहते हैं। बहरहाल निष्कर्ष से पता चला है कि दो अलग-अलग खुराक में वैक्सीन का प्रभाव अच्छा रहा। एक वैक्सीन में 90 प्रतिशत और दूसरी वैक्सीन में 62 प्रतिशत अनुकूल असर रहा।