5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बजट 2020: निर्मला सीतारमण के दूसरे बजट से मिडिल क्लास को है इन बाताें की उम्मीद

उद्योग जगत को पहले ही मिल गई है राहत मिडिल क्लास की बड़ी मांग इनकम टैक्स स्लैब में हो बदलाव लोग अफॉर्डेबल हाउसिंग के क्षेत्र में अतिरिक्त राहत की कर रहे हैं उम्मीद Budget 2020, Budget expectations, finance Ministry, Nirmala Sitharaman, Modi Govt

3 min read
Google source verification
budget 2020

budget 2020

नई दिल्ली। आज संसद में बजट पेश होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिडिल क्लास के लोग टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी को लेकर उम्मीद लगाए बैठे हैं। चूंकि आैद्योगिक घरानों के लिए सरकार पहले ही घोषणाएं कर चुकी है, इसलिए देश का मिडिल क्लास को लगता है कि अब राहत पाने की उनकी बारी है।

इसके साथ ही सीनियर सिटिजंस और अफॉर्डेबल मकानों का सपना देखने वाले लोग भी सरकार की आेर आशाभरी निगाहों से देख रहे हैं। लोगों की नजरें इस बात पर भी टिकी होंगी कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट दस्तावेज ब्रीफकेस में लेकर आएंगी या पारंपरिक बही-खाता के रूप में। जैसा उन्होंने अपने पहले बजट में किया था। बहरहाल,हम एक नजर डालते हैं मिडिल क्लास की उन मांगों पर जिनके पूरी होने पर वे राहत की सांस लेंगे।

आयकर में कटौती
मिडिल क्लास की सबसे बड़ी मांग व्यक्तिगत आयकर में कटौती की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए सरकार पांच लाख तक की आय को टैक्स फ्री करे। 5-10 लाख तक की आय पर 10 फीसदी, 10-20 लाख तक की आय पर 20 फीसदी तथा 20 लाख रुपए से ऊपर की आय पर 30 फीसदी के आयकर का प्रावधान करे। ऐसा करने से न सिर्फ मिडिल क्लास को फायदा होगा, बल्कि खर्च करने योग्य रकम बढ़ने से खपत को बढ़ावा मिलेगा जिससे इकॉनमी को रफ्तार मिलेगी।

होम लोन
मध्य वर्ग को राहत देने के लिए सरकार होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा में बढ़ोतरी कर सकती है। वर्तमान में इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत ब्याज पर 2 लाख रुपए की छूट मिल रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इस रकम को बढ़ाकर 3.5 लाख तक कर सकती है।

80सी की सीमा
सरकारी आैर गैर सरकारी क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए टैक्स से राहत पाने का सबसे बड़ा औजार आयकर अधिनियम का सेक्शन 80सी है। वर्तमान में 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक छूट है। सेक्शन 80सी के तहत अभी पीपीएफ और एनएससी में किए गए निवेश भी शामिल होते हैं। इस बार के बजट में फाइनेंस मिनिस्ट्री को सेक्शन 80सी के तहत सेविंग्स के लिए 2.50 लाख रुपये तक के टैक्स एग्जेम्पशंस की इजाजत देनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो यह मिडिल क्लास के लिए बड़ा तोहफा होगा। नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स (NCS) में 50,000 रुपए तक और पब्लिक प्रविडेंट फंड (PPF) में 2.5 लाख रुपये तक निवेश टैक्स फ्री होंगे। पीपीएफ की लिमिट को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए करने से सेविंग्स में बहुत बढ़ोतरी होगी।

एलटीसीटी पर टैक्स
बचत के लिए मिडिल क्लास अब बैंक बचत खाते में निवेश के बजाय इक्विटी और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंडों में निवेश का सहारा ले रहा है। ऐसे में इन्वेस्टमेंट के लिहाज लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) को लेकर सरकार बड़ा ऐलान करे तो भी बड़ी राहत मिलेगी। वर्तमान में LTCG पर 10 फीसदी का टैक्स लगता है। इंडिया इंक की मांग है कि इक्विटी पर एलटीसीजी टैक्स को खत्म किया जाए। उनका कहना है कि एलटीसीजी खत्म होने से इन्वेस्टमेंट ज्यादा आएगा। मोदी सरकार ने 2018-19 में इस टैक्स को दोबारा लागू किया था।

ग्रामीण खपत बढ़ाने पर जोर
भारतीय इकॉनमी मुख्यतौर पर कृषि आधारित है। 2019 के आखिर में असमय बारिश, उत्पादन का कम दाम आदि के कारण ग्रामीण आय पर नेगेटिव असर देखने को मिला। ऐसे में ग्रामीण खपत बढ़ाने के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), इन्सेंटिव और सब्सिडी का ऐलान कर सकती है, ताकि बाजार में मांग लौटे।

रियल एस्टेट

बजट में केंद्र सरकार निम्नलिखित घोषणाएं करती है तो इससे न सिर्फ मकान मालिकों तथा संभावित होमबायर्स का बोझ कम होगा, बल्कि सुस्ती से जूझ रहे रियल एस्टेट सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा।

स्टैंडर्ड डिडक्शन
2002 से ही 30 फीसदी के स्टैंडर्ड में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। मकान के रिपेयर, यूटिलिटीज तथा मेनटेनेंस के महंगा होने की वजह से सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 50 फीसदी तक कर सकती है।

हाउजिंग लोन
केंद्र सरकार परेशान मकान मालिकों के बोझ को कम करने के लिए हाउजिंग लोन के इंट्रेस्ट पर मिलने वाले डिडक्शन को बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपए तक कर सकती है। साथ ही लॉस की भरपाई के लिए लिमिट को भी बढ़ा सकती है। हाउजिंग लोन पर इंट्रेस्ट को डिडक्शन के रूप में क्लेम किया जा सकता है। सेल्फ ऑक्यूपाई हाउस प्रॉपर्टी के लिए डिडक्शन की सीमा 2 लाख रुपए हैं हालांकि किराए पर लगाई गई हाउस प्रॉपर्टी के लिए डिडक्शन के रूप में क्लेम किए जा सकने के लिए ब्याज की रकम की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।

ब्याज पर बढ़ेगी छूट
इस मसले पर सहमति बनी तो इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत अभी ब्याज पर 2 लाख रुपए की छूट दी जा रही है जिसे बढ़ाकर 3 से 4 लाख रुपए तक करने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन पीरियड के दौरान ब्याज पर छूट देने पर विचार किया जा रहा है।

प्रिंसिपल अमाउंट पर छूट
होम लोन के प्रिंसिपल पर भी छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। होम लोन के प्रिंसिपल पर अलग से छूट देने के विकल्प पर चर्चा हो रही है। सेक्शन 80 सी के तहत होम लोन के प्रिंसिपल पर छूट मिलती है। जानकारी के मुतािबक सरकार चाहती है कि होम लोन पर छूट इस तरह से मिले कि सरकार पर ज्यादा बोझ न पड़े। साथ ही आम कस्टमर्स की जेब में अच्छा-खासा पैसा चला जाए। इसके लिए अनेक तरह के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है।


बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग