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नई दिल्ली। कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को झटका देते हुए बंगाल चुनाव के बाद हिंसा को लेकर पुलिस को सभी मामलों की एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने हिंसा के सभी पीड़ितों का इलाज कराने और उन्हें मुफ्त राशन दिए जाने के लिए कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि यह राशन उन लोगों को भी मिलना चाहिए, जिनका कार्ड नहीं बना है। ममता सरकार के लिए यह झटका इसलिए है क्योंकि ममता सरकार की ओर से राज्य में चुनाव बाद हिंसा के आरोपों को खारिज किया जाता रहा था।
हिंसक घटना में कई लोगों ने गंवाई जान
आपको बता दे कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद प्रदेश के कई हिस्सों में राजनीतिक हिंसक घटनाएं सामने आई थी। इसमें काफी लोगों की जान चली गई थी। हिंसा के बाद लोगों ने आरोप लगाया था कि ममता बनर्जी की सरकार पीड़ितों की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दे रही है और ना ही उनकी कोई मदद कर रही है। इस पर कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए है कि सभी हिंसा पीड़ितों के केस दर्ज हो और सरकार सभी का इलाज करवाए।
सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का आदेश
हाई कोर्ट ने मामलों की जांच कर रहे मानवाधिकार आयोग की टीम के कार्यकाल को ओर आगे बढ़ा दिया है। अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम चुनावी हिंसा के मामलों की 13 जुलाई तक जांच करेगी। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 13 जुलाई तय की है। हाई कोर्ट की ओर से राज्य के चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया है कि वह चुनाव बाद हिंसा से जुड़े मामलों के सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखें।
मानवाधिकार आयोग की टीम पर हुआ था हमला
हाई कोर्ट के आदेश के बाद मानवाधिकार आयोग ने सदस्य राजीव जैन के नेतृत्व में 7 सदस्यीय टीम का गठन किया गया। टीम ने पिछले दिनों जादवपुर का दौर किया और पीड़ितों से मुलाकात की थी। इस दौरान राजीव जैन ने कहा था कि अराजक तत्वों ने उनकी टीम पर भी हमला किया। ममता सरकार ने मानवाधिकार आयोग की टीम पर रोक की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
Updated on:
02 Jul 2021 03:42 pm
Published on:
02 Jul 2021 01:32 pm
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