मुंबई। खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के कैलेंडर व डायरी से महात्मा गांधी की तस्वीर हटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाने का विरोध करने वाले अपने कर्मचारियों पर केवीआईसी प्रबंधन की भृकुटि तन गई है। केवीआईसी के प्रशासन एवं मानव संसाधन विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कर्मचारी यूनियन को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण देने को कहा है कि उन्होंने दफ्तर के परिसर में 12 जनवरी को 'अनाधिकृत प्रदर्शन' क्यों किया?
शिवसेना से संबंद्ध खादी ग्रामोद्योग कर्मचारी सेना (केजीकेएस) के पदाधिकारियों को जारी कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि उनके प्रदर्शन से संस्थान की छवि को आघात लगा है। 16 जनवरी के नोटिस में 18 जनवरी को हाथ से लिखकर कुछ और जोड़ा गया है और केजीकेएस से 48 घंटे में जवाब मांगा गया है।
केजीकेएस ने नोटिस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह इस बात का एक और सबूत है कि कैसे केवीआईसी में 'निरंकुशता व तानाशाही' घुस गई है, जहां कर्मचारियों को 'शांत, गांधीवादी तरीके से प्रदर्शन' करने पर भी दंडित करने के बारे में सोचा जा रहा है।
बीते गुरुवार को आईएएनएस ने सबसे पहले यह खबर दी थी कि केवीआईसी के कैलेंडर-डायरी से गांधीजी की तस्वीर हटाकर नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी गई है। इसका पूरे देश में विरोध हुआ था। उसी दिन केवीआईसी कर्मचारियों ने अपने दफ्तर परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास प्रार्थना करने के बाद भोजनावकाश में मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन प्रदर्शन किया था।
केवीआईसी कैलेंडर में बापू की जगह 'विराजे' मोदी, विरोध शुरू
नी दिल्ली. खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के कैलेंडर और डायरी से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की चरखे वाली तस्वीर की जगह प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर लगाने का विरोध शुरू हो गया है। इस हरकत से नाराज केवीआईसी के कर्मचारियों के एक धड़े ने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान इन कर्मचारियों ने पूछा कि आखिर क्यों राष्ट्रपिता की तस्वीर की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर प्रकाशित की गई है। ये लोग अब आयोग से पूछ रहे हैं, किया गांधीजी खादी उद्योग के लिए अब प्रासंगिक नहीं रहे? इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने गांधीजी की तस्वीरों के साथ फिर से कैलेंडर प्रकाशित करने की मांग की है। हालांकि, खादी ग्रामोद्योग आयोग ने इस मुद्दे को तरजीह नहीं दी।
इस सांकेतिक प्रदर्शन में केवीआईसी से जुड़े दर्जनों कर्मचारियों ने मुम्बई के उपनगरीय विले पारले पर जमा होकर अपना विरोध जताया। इन लोगों ने कहा कि वे इस मुद्दे को इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि गांधी खादी आंदोलन के पीछे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक शक्ति रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम डायरी और कैलेंडर में मोदीजी की तस्वीर शामिल करने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन गांधीजी की तस्वीर नहीं पाकर हम दुखी हैं। हम सिर्फ यह जानना चाहते हैं, क्यों गांधीजी को यहां स्थान नहीं दिया गया है?
आयोग के ज्यादातर कर्मचारी और अधिकारी उस वक्त हैरान रह गए, जब कैलेंडर के कवर पर गांधी जी की बजाय पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर दिखी। दरअसल, अभी तक खादी ग्रामोद्योग की ओर से जारी किए जाने वाले वार्षिक कैलेंडर और डायरियों पर हर वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर छपती रही है। लेकिन, इस बार कैलेंडर और डायरी से उनकी तस्वीर गायब है और उनके स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपिता के अनदाज में चरखा चलाते फोटो लगाई गई है।
इस तस्वीर में नरेंद्र मोदी चरखा चलाते दिख रहे हैं। इससे पहले गांधी जी की भी चरखा चलाने की तस्वीर ही छपती थी।
आयोग का अपना ही तर्क
इस बारे में आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि राष्ट्रपिता को नजरअंदाज किए जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि देश का पूरा खादी उद्योग ही गांधीजी के दर्शन, विचारों और आदर्शों पर आधारित है। वह खादी ग्रामोद्योग की आत्मा जैसे हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लंबे समय से खादी पहनते रहे हैं। खादी में उन्होंने अपना स्टाइल विकसित की है, जिसने बड़ी संख्या में भारतीयों समेत विदेशियों को भी इसकी ओर आकर्षित किया है। सक्सेना ने कहा, 'पीएम मोदी खादी के सबसे बड़े ब्रैंड ऐंबैसडर हैं। इसलिए उनकी फोटो लगाई गई है।