10 जनवरी को मोदी सरकार ने वर्मा को अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड्स के महानिदेशक के रूप में नई जिम्मेदारी दी। लेकिन वर्मा ने नए पद का कार्यभार संभालने से इनकार कर दिया और अपना इस्तीफा सरकार को भेज दिया। चौंकाने वाली बात ये है कि सरकार ने वर्मा को जो नए पद दिए उसके लिए अधिकतम उम्र सीमा 60 है, जबकि वर्मा 62 के हैं। ऐसे में तकनीकी तौर पर उन्हें ये पद दी ही नहीं जा सकती थी।
आइए आपको समझाते हैं कि आलोक वर्मा ने कार्मिक सचिव चंद्रमौली सी. को भेजे गए अपने इस्तीफे में आखिर क्या लिखा है ? जिसके बाद सीधे तौर पर मोदी सरकार पर सवाल उठने लगे हैं।
# सीबीआई निदेशक के पद से हटाने वाली सिलेक्शन कमिटी ने उन्हें (वर्मा को) अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। जो किसी भी जांच प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की अवहेलना है।
# आलोक वर्मा तो 31 जुलाई, 2017 को ही सेवानिवृत्त हो जाते। लेकिन उन्हें सीबीआई निदेशक बना दिया गया। उन्हें ये एक्सटेंशन मिला और अब वो 31 जनवरी, 2019 को सेवानिवृत्त होते। अब करीब 20 दिन पहले उन्हें पद से हटाने से सरकार को क्या लाभ मिला।
# सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के बाद वर्मा को जिस अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होमगार्ड्स के महानिदेशक के रूप में नई जिम्मेदारी दी गई। उसकी सेवानिवृत्त उम्र 60 साल है जबकि वर्मा 62 के हैं। इसीलिए को खुद ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
# वर्मा ने कहा कि सिलेक्शन कमिटी ने इस बात का ध्यान नहीं रखा कि CVC की पूरी रिपोर्ट उस शख्स (राकेश अस्थाना) के बयान पर आधारित है जिसकी जांच खुद सीबीआई कर रही है।