केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि उत्तराखंड में चमोली जिले के रेणी गांव में स्थित ऋषिगंगा ग्लेशियर के टूटने से आई विकराल बाढ़ में क्षतिग्रस्त एनटीपीसी परियोजना में काम करने वाले मृतकों के आश्रितों को 20-20 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाएगी।
ऊर्जा मंत्री ने सोमवार को आपदाग्रस्त क्षेत्र का दौरा भी किया। उन्होंने कहा कि इस आपदा में 13.2 मेगावॉट ऋषिगंगा हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर प्रोजेक्ट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। वहीं, एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना को भी काफी क्षति हुई है। आरके सिंह ने कहा कि नुकसान के कारणों का पता लगाने के लिए इसरो की तस्वीरों के आधार पर एनटीपीसी, टीएचडीसी और एसजेवीएनएल के पदाधिकारियों की एक टीम आपदाग्रस्त क्षेत्र का दौरा करेगी। सिंह ने यह भी कहा कि पर्वतीय राज्यों में सतर्कता प्रणाली भी सरकार उपलब्ध कराएगी, जिससे भविष्य में हिमस्खलन आदि घटनाओं की जानकारी पहले ही मिल सके।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस समय हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती सुरंग में फंसे करीब तीन दर्जन लोगों को बचाना है। अभी सुरंग के अंदर बचाव टीम करीब 70 मीटर तक पहुंची है। इस टीम को करीब 180 मीटर और अंदर जाना है। सुरंग से मलबा जल्दी से जल्दी किस तरह निकाला जाए, इस पर भी काम चल रहा है।
केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने बताया कि मृतक आश्रितों को राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी। वहीं, एनटीपीसी को भी मृतकों के परिजनों को 20-20 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने को कहा गया है, जिससे मृतकों के परिजन इस दुखद आपदा से उबर सकें। इसके पहले तपोवन में परियोजनाओं का निरीक्षण करने के बाद आरके सिंह ने कहा कि आपदा से तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना को करीब 15 सौ करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले यह परियोजना वर्ष 2028 तक पूरी होनी थी, लेकिन अब इसमें कितना और समय लगेगा, यह नुकसान के पूरी तरह आकलन के बाद ही तय हो सकता है।