नई दिल्ली। केंद्र सरकार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी इंदिरा आवास योजना का नाम बदलने जा रही है। इस योजना का नाम अब प्रधानमंत्री आवास योजना होगा, जो अगले महीने लांच होगी। सूत्रों के मुताबिक नई स्कीम के तहत सरकार का 2019 तक एक करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य है। गौरतलब है कि इससे पहले भी केंद्र सरकार कई योजनाओं से गांधी-नेहरू परिवार का नाम हटा चुकी है।
हालांकि ग्रामीण विकास मंत्रालय के अफसरों ने योजना के नाम में बदलाव का कोई कारण नहीं बताया है। इंदिरा आवास योजना के तहत सरकार का इस वित्तीय वर्ष में 38 लाख मकान बनाने का लक्ष्य है, जिनमें से 10 लाख घर बनकर तैयार हो चुके हैं। एक अप्रैल 2017 से ये योजना प्रधानमंत्री आवास योजना में समाहित कर दी जाएगी।
अनुदान सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में जाएगा
1985 में राजीव गांधी द्वारा लांच की गई इंदिरा आवास योजना में केंद्र और राज्य सरकार की क्रमश: 60 व 40 फीसदी की भागीदारी है। पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्र सरकार इस योजना में 90 फीसदी का तो केंद्र शासित प्रदेशों में सौ फीसदी का योगदान करती है। नई योजना यानी प्रधानमंत्री आवास योजना में केंद्र और राज्यों के बीच बजट वितरण का प्रावधान यही रहेगा, लेकिन अनुदान सीधे उन लाभार्थियों के बैंक खाते में जाएगा, जो 2011 की सामाजिक-आर्थिक जनगणना के मुताबिक चुने जाएंगे। मैदानी इलाकों में रहने वालों को 1.20 लाख तो पहाड़ी इलाकों में रहने वालों को 1.30 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा।