श्रमिकों को लेकर केन्द्र की नई पहल जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय श्रम मंत्रालय ( Union Labour Ministry ) ने एक संसदीय पैनल ( Parliamentary panel ) को सूचित किया कि वह उन राज्यों में श्रमिकों ( workers ) के लिए उचित मुआवजे पर जोर देगा, जिन्होंने फैक्ट्री कानूनों ( Factory Laws ) को बदलाव करने की अनुमति दी थी। दरअसल, मई महीने में उत्पादन लाइनें शुरू होने के बाद कारखानों में श्रमिकों ( Labour ) की मांग में वृद्धि हुई थी, इसलिए कई राज्यों ने कर्मचारियों की कमी से निपटने में उद्योगों की मदद करने के लिए श्रम कानूनों ( Labour Laws ) को 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे तक करने की छूट दी। श्रम सचिव हीरालाल सामरिया ( Hiralal Samariya ) ने श्रम पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि यदि कोई उद्योग श्रमिकों को अतिरिक्त घंटे काम करने के लिए कहता है, तो उसे दैनिक मूल वेतन का 200% भुगतान करना होगा, जैसा कि प्रत्येक अतिरिक्त घंटे में कानून में निर्धारित है। इतना ही नहीं समारिया ने यह भी कहा कि अगर कोई कर्माचारी छुट्टी के दौरान ड्यूटी करता है , तो कर्मचारी को उसके मूल का 300% अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
‘अतिरिक्त काम कराने पर मिले एक्स्ट्रा पैसे’ गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ), मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ), गुजरात ( Gujarat ), राजस्थान, पंजाब ( Punjab ), हरियाणा ( Haryana ) और हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh ) ने कोरोना संकट के दौरान श्रम कानूनों ( Labour Law ) में ढील दी है। वहीं, पैनल के अध्यक्ष, BJD के भर्तृहरि महताब ( Bhartruhari Mahtab ) ने प्रवासी श्रमिकों के लिए मंत्रालय के प्रमुख की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। जब अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने श्रमिक विशेष ट्रेनों में यात्रियों की संख्या की गणना की है, ताकि यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि 1.09 करोड़ प्रवासी श्रमिक घर लौट आए हैं, तो महताब ने तर्क दिया कि श्रमिक विशेष ट्रेनें छात्रों और पर्यटकों को भी लेकर जाती हैं। पैनल ने यह भी जोर दिया कि मंत्रालय को सभी प्रवासी कामगारों ( Migrant Labourers ) के लिए विशेष सामाजिक सुरक्षा कार्ड ( Special Social Security Card ) के साथ आना चाहिए। जो एजेंसियों, स्व-नियोजित या कारखानों से सीधे जुड़ने वाले हैं। इससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिलने में मदद मिलेगा। इतना ही नहीं पैनल ने कहा कि जैसे-जैसे प्रवासी श्रमिक शहरों की ओर लौटने लगे हैं, उन्हें राज्यों को सामाजिक सुरक्षा कार्ड बनाना होगा।