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चमोली त्रासदी: एक हफ्ते के राहत एवं बचाव अभियान में जानिए अब तक कैसी आईं अड़चनें

Highlights. - सुरंग में कई लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है - सुरंग गाद और मलबे की वजह से भरी है, जिससे ड्रिलिंग नहीं हो पा रही - ड्रोन कैमरे से अंदर की स्थितियों का जायजा लिया जा रहा, बीच-बीच में नदी का प्रवाह भी तेज हो रहा  

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Ashutosh Pathak

Feb 15, 2021

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नई दिल्ली।

बीते 7 फरवरी को चमोली में ग्लेशियर फटने से आई तबाही के निशां अब तक मिटे नहीं हैं। वहीं, कई लोगों के अब भी सुरंग में फंसे होने की उम्मीद जताई जा रही है, जिन्हें बचाने के लिए राहत एवं बचाव कर्मी दिनरात अभियान जारी किए हुए हैं। सोमवार सुबह तक मलबे और गाद से भरी सुरंग को करीब 90 मीटर तक साफ किया जा चुका है। आइए आपको बताते हैं कि सात फरवरी की घटना के बाद से अगले एक हफ्ते में काम किस स्तर पर कहां तक पहुंचा है।

8 फरवरी
7 फरवरी की बाढ़ के बाद बचाव अभियान शुरू किया गया। अगले दिन सोमवार यानी 8 फरवरी को धौली गंगा नदी में पानी को कुछ देर के लिए रोक दिया गया था। सुरंग से गाद की सफाई का काम शुरू हुआ।

9 फरवरी
पूरे इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया गया, जिसमें किस जगह से काम को सुचारू से पहले शुरू किया जाए और किस जगह ज्यादा लोग फंसे हो सकते हैं, वहां राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाई जाए, इस पर रणनीति बनाकर काम शुरू किया। सुरंग के भीतर करीब 120 मीटर तक ड्रोन कैमरे भेजे गए। हालांकि, उसकी तस्वीरों में किसी के फंसे होने की जानकारी सामने नहीं आई। आशंका जताई जा रही है कि सुरंग में करीब 100 लोग फंसे हो सकते हैं।

10 फरवरी
बचाव अभियान में जुटी टीम ने सुरंग में फंसे लोगों को पहले निकालने पर फोकस किया। इसके बाद सुरंग के भीतर एक और छोटी सुरंग होने की जानकारी मिली, जिसके बाद उसकी ड्रिलिंग का काम भी शुरू कर दिया गया। इसमें करीब 72 मीटर की ड्रिलिंग की गई। इससे अंदर ड्रोन कैमरा भेज कर अंदर की स्थिति का सही आकलन करने में भी मदद मिली। गाद को हटाने के लिए अलग टीम बनाई गई, जिससे अंदर फंसे लोगों को सांस लेने में परेशानी न हो। गुमशुदा लोगों की तलाश के साथ-साथ एक हेल्पलाइन डेस्क भी शुरू की गई।

11 फरवरी
नदी के पानी का प्रवाह तेज हो गया, जिससे बचाव अभियान को टालना पड़ा। हालांकि, कुछ घंटों के बाद काम फिर शुरू हुआ। इसके बाद लगभग 80 मीटर के क्षेत्र से गाद निकाली गई। छोटी सुरंग के बीचो-बीच ड्रिलिंग का काम सुबह 3 बजे ही शुरू कर दिया गया, लेकिन करीब 6 मीटर की दूरी पर कीचड़ मिलने लगा, जिससे काम को रोकना पड़ा।

12 फरवरी
काम फिर शुरू किया गया और 75 मीटर की दूरी पर नई ड्रिलिंग शुरू की गई। बचाव अभियान में लगी टीम शाम तक करीब 10 मीटर ड्रिलिंग ही कर सकी।

13 फरवरी
सुरंग के अंदर ड्रिलिंग को 12 मीटर की गहराई तक पूरा किया गया। एक कैमरे की सहायता से आगे की स्थितियों का जायजा लिया जा रहा था। गाद की वजह से ड्रिलिंग में फिर दिक्कत आई, जिससे काम को रोकना पड़ा। हालांकि, काम थोड़ी-थोड़ी देर के अंतराल पर विराम देकर फिर शुरू किया जा रहा है।