
अद्भुत मिसालः कलेक्टर ने अपने बेटे को आंगनवाड़ी में दिलाया एडमिशन, क्या नेता लेंगे सबक?
देहरादून। उत्तराखंड के चमोली से एक ऐसी खबर आई है जिसे सुनने के लिए हम अक्सर आतुर रहते हैं। अक्सर देश में यह सवाल उठता है कि क्यों नहीं शिक्षा तंत्र की हालत सुधारने के लिए यह अनिवार्य कर दिया जाए कि सभी नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूलों में कराना अनिवार्य किया जाए। ऐसा कोई नियम तो नहीं बना लेकिन चमोली की कलेक्टर स्वाति भदौरिया ने ऐसी शानदार मिसाल पेश की है जिसे पढ़कर आपको भी उम्मीद की किरण दिखाई देगी।
बेटे को आंगनवाड़ी केंद्र में भर्ती कराया
स्वाति भदौरिया ने अपने बेटे को गोपेश्वर के आंगनवाड़ी केंद्र में भर्ती कराया है। ये काबिलेतारीफ फैसला लेने के बाद उन्होंने कहा, 'यह फैसला बेटे के सामाजिक, मानसिक और शारीरिक विकास के लिए लिया है। यहां सभी बच्चों को अच्छा खाना, अच्छे खिलौने, चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं। यहां बच्चों का अच्छा विकास हो सकता है।'
...इसलिए महान है ये फैसला
आमतौर पर आंगनवाड़ी केंद्र और अन्य सरकारी शिक्षा संस्थाओं में अनियमितताओं, छिपकली-कीड़े आदि से दूषित खाने, बासी खाने, बच्चों के बीमार पड़ने जैसी खबरें पढ़ते हैं। ऐसे में एक कलेक्टर का अपने बच्चे को आंगनवाड़ी में भर्ती कराना यह सुनिश्चित करता है कि वहां अच्छी सुविधाएं मिलती होंगी। अगर हर जिले के कलेक्टर और अन्य जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधि अपने बच्चों को इन्हीं संस्थाओं में शिक्षा दिलाएं तो हालात जल्दी सुधर सकते हैं।
Published on:
01 Nov 2018 10:50 pm
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