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चंद्रयान-2: ISRO वैज्ञानिक ने बताए व्रिकम लैंडर की लैंडिंग डिस्टर्ब होने के 3 बड़े कारण

IDRO चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित करने का कर रहा प्रयास प्रोफेसर तपन मिश्रा ने बताए मिशन के बिगड़ने के 3 बड़े कारण डिंग के समय थ्रस्टर्स में पूरा फ्यूल न पहुंच पाया हो और लैंडिंग डिस्टर्ब हो गई हो

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Mohit sharma

Sep 13, 2019

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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) लगातार चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।

लैंडर विक्रम से इसरो का उस समय संपर्क टूट गया था, जब वह चांद की सतह से महल 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था।

इस बीच इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद के पूर्व निदेशक और IIT खड़गपुर के एडजंक्ट प्रोफेसर तपन मिश्रा ने एक मीडिया हाउस का बताया कि मिशन के बिगड़ने के 3 बड़े कारण क्या हो सकते हैं।

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1. थ्रस्टर्स स्टार्ट होने में परेशानी

दरअसल, लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर चांद की सतह से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगा रहा था। उस समय लैंडर की गति 1.66 किलोमीटर प्रति सेकंड की थी।

चांद पर उतरते समय विक्रंम लैंडर को बिल्कुल सीधा रहना था। उसकी गति भी 2 मीटर प्रति सेकंड की जानी थी। विक्रम की लैंडिंग में मदद करने के लिए 5 बड़े थ्रस्टर्स फिट किए गए हैं।

माना जा रहा है कि चांद की सतह से 400 मीटर की दूरी पर लैंडिंग के दौरान सभी थ्रस्टर्स में ईंधन न पहुंच पाया हो, जिसकी वजह से लैंडर स्टार्ट न हो पाएं हो हों।

जिसकी वजह से लैंडर स्पीड के साथ घूमने की वजह से उसने कंट्रोल खो दिया हो।

2. चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति

इसका एक बड़ा कारण चांद का गुरुत्वाकर्षण भी हो सकता है। वैज्ञानिकों की मानें तो चांद की सतह से महज 100 मीटर ऊपर विक्रम लैंडर हेलीकॉप्टर घूमता है।

लैंडर को गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बचाने के लिए उसके दोनों ओर छोटे थ्रस्टर्स ऑन रहते। इस पूरी प्रक्रिया में लैंडर में लगा कैमरा लैंडिंग की जगह तलााश्वा कर उतरने का प्रयास करता है।

इस समय लैंडर का रडार अल्टीमीटर लैंडर की दूरी और ऊंचाई के संतुलन का ध्यान रखता है। क्योंकि यह लैंडिंग पूर्ण रूप से ऑटोमैटिक थी।

ऐसे में इसको धरती से कंट्रोल नहीं किया जा सकता था। माना जा सकता है कि यहां विक्रम लैंडर गुरुत्वाकर्षण को ट्रेस न कर पाया हो।

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2. इंजन में ईंधन का ना पहुंच पाना

जानकारी के अनुसर विक्रम लैंडर का सबसे बड़ा पार्टी उसका फ्यूल टैंक है। लैंडर की स्पीड अधिक होने की वजह से में फ्यूल उछल रहा हो और नॉजल तक प्रोपर तरीके से न पहुंच पाया हो।

लैंडिंग के समय थ्रस्टर्स में पूरा फ्यूल न पहुंच पाया हो और लैंडिंग डिस्टर्ब हो गई हो।

इसरो मुख्यालय पहुंचे नासा व कैलटेक के अधिकारी, वैज्ञानिकों से की बातचीत