
नई दिल्ली। मिशन मून को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) सिद्धत के साथ पिछले सात दिनों से जुटा है। इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन अपनी टीम के साथ इस मुहिम पर 24 घंटे इस मुहिम को सफल बनाने में जुटे हैं। लेकिन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम ने उसे अभी तक निराश ही किया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) के वैज्ञानिक बेंगलुरु के पास बयालालू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क ( IDSN ) की मदद से विक्रम से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इस काम में उसे सातवें दिन भी सफलता नहीं मिली।
विक्रम ने नासा को भी नहीं दिया जवाब
अब विक्रम को गतिहीनता की स्थिति से गतिशील करने के प्रयास में दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ( NASA ) भी जुट गया है। लेकिन नासा के हेलो मैसेज का 24 घंटे बाद भी विक्रम ने जवाब नहीं दिया है।
ऐसा लगता है कि सॉफ्ट लैंडिंग करते वक्त विक्रम को ऐसी क्षति पहुंची है जिसकी वजह से वो रेडियो सिग्नल को नहीं पकड़ पा रहा है।
मुहिम से जुड़े जेपीएल के वैज्ञानिक
अमरीका की राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) ने अपने गहरे अंतरिक्ष ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क के जरिए नासा के जेट प्रोपल्सन लैबोरेटरी (जेपीएल) ने लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए विक्रम को एक रेडियो फ्रीक्वेंसी भेजी है। जेपीएल विक्रम से गहरे अंतरिक्ष नेटवर्क (डीप स्पेस नेटवर्क- डीएसएन) के जरिए संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके बावजूद विक्रम से संपर्क स्थापित करने की उम्मीदें दिन-ब-दिन कम होती जा रही हैं। 14 पृथ्वी दिवस के बाद 20-21 सितंबर को जब चंद्रमा पर रात होगी तब विक्रम से दोबारा संपर्क स्थापित करने की सारी उम्मीदें खत्म हो जाएंगी।
Updated on:
13 Sept 2019 01:40 pm
Published on:
13 Sept 2019 10:47 am
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