दूसरी ओर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क साधने को लेकर लगातार प्रयास जारी है। इस बीच खगोलविद स्कॉट टायली ने ट्वीट कर इस बात की संभावना जताई है कि इसरो के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल होंगे।
बता दें कि स्कॉट टायली ने 2018 में अमरीका के मौसम उपग्रह को ढूंढ निकाला था। यह इमेज सैटेलाइट नासा द्वारा 2000 में लॉन्च की गई थी, जिसके पांच साल बाद इससे संपर्क टूट गया था।
चंद्रयान-2: खगोलविद स्कॉट टायली ने कहा- इसरो लैंडर विक्रम से संपर्क करने में होगा NASA विक्रम को भेजरा है रेडियो फ्रिक्वेंसी लैंडर विक्रम की लैंडिंग के बाद से अब तक 6 दिन बीत चुके हैं लेकिन इसरो को अब तक उससे संपर्क स्थापित करने में किसी तरह की सफलता नहीं मिली है। इस काम में इसरो की सहायता करने के लिए अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) भी जुट गया है।
जेपीएल भेज रहा है सिग्नल इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) विक्रम को रेडियो सिग्नल भेज रहा है, ताकि लैंडर विक्रम के साथ संचार लिंक स्थापित किया जा सके। यह प्रयास 20-21 सितंबर को तक जारी रहेगा। जबतक की उस क्षेत्र में सूरज की रोशनी होगी, जहां विक्रम लैंडर की लोकेशन मिली है।
चंद्रयान-2: ISRO के ऑर्बिटर से भौचक्के क्यों हैं नासा, रूस, चीन और यूरोपीय स्पेस ऐजेंसियां? DSN के जरिए संकेत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) ने विक्रं लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए अपने डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के जरिए लगातार साथ संकेत भेज रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि विक्रम से जल्द से जल्द संपर्क कर लिया जाएगा।
दूसरी तरफ इसरो बेंगलुरु के पास बयालालू आईडीएसएन की मदद से विक्रम से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। Chandrayaan-2: लैंडर विक्रम तक पहुचंने के लिए प्लान B तैयार, अब खतरों का खिलाड़ी