
नई दिल्ली। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन ( ISRO ) लाख कोशिशों के बाद भी चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं साध पाया है।
इसके साथ ही लैंडर विक्रम से संपर्क साधने का समय भी धीरे-धीरे खत्म हो जा रहा है। इसरो ने लैंडर से संपर्क साधने के लिए 14 दिन का समय निर्धारित किया था, जो 21 सितंबर यानी कल खत्म हो रहा है।
इसके साथ ही अब चांद पर लैंडर की मुश्किलें बढ़ने वाली है। दरअसल, प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा की सतह पर चांद के एक दिन में ही कई प्रयोग करने थे।
आपको बता दें कि चांद का एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है।
आपको बता दें कि चांद के दक्षिणी ध्रुव में जिस स्थान पर चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम देखा गया है, वह आने वाले 14 दिनों तक अंधकार की काली छाया में समाने वाला है।
यहां अगले 14 दिनों तक सूरज की रोशनी नहीं पहुंचेगी। इसका परिणाम यह होगा कि चांद का तापमान गिरकर माइनस 183 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा।
एक ओर जहां इतने कम तापमान में लैंडर विक्रम से संपर्क साधना बेहद मुश्किल होगा।
वहीं, सूरज की रोशनी के बिना लैंडर पर लगी सोलर बैट्रिंया चार्ज नहीं हो पाएंगी, जिससे उसकी कार्य क्षमता शिथिल पड़ जाएगी।
दरअसल, चांद का साउथ पॉल का क्षेत्र बेहद रोचक है। इसका क्षेत्रफल नॉर्थ पॉल की अपेक्षा काफी बड़ा है। यह क्षेत्र अंधेरे में डूबा रहता है।
इसके साथ ही दिलचस्प बात यह है कि चांद का जो क्षेत्र स्थायी रूप से अंधकार में डूबा रहता है, वहां पानी होनी की अधिक गुंजाइश है।
इसके साथ ही चांद पर ऐसे अनगिनत गड्ढे हैं, जहां सूरज की रोशनी नहीं पड़ती। इन गड्ढों को ‘कोल्ड ट्रैप’ के नाम से जाना जाता है।
Updated on:
20 Sept 2019 01:36 pm
Published on:
20 Sept 2019 01:32 pm
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